शनिवार, 23 मार्च 2013
सोमवार, 18 मार्च 2013
रंगपुर्वी कला प्रदर्शनी- 2 0 1 3
यूँ तो कला के लिए किसी भाषा की आवश्यकता नहीं है , बल्कि कला के बिना भाषा का कोई औचित्य नहीं। कला खुद में एक सम्पूर्ण भाषा है जिसे समझने के लिए इसे सीखना जरुरी नहीं ।
आज दिल्ली के ललित कला अकादमी में एक ऐसी कला प्रदर्शनी का शुभारम्भ हुआ जिसका आयोजन दिल्ली सरकार की मैथिल-भोजपुरी अकादमी ने किया है। आज इसका उद्घाटन भाषा, शिक्षा, समाज कल्याण मंत्री प्रो. किरण वालिया ने किया।
प्रदर्शनी में मैथिली एवं भोजपुरी भाषी प्रदेशों के करीब चालीस कलाकारों की कृतियाँ प्रदर्शित की गई है, जिनमे समकालीन कलाकारों के अलावा लोक कलाकारों की कृतियाँ भी शामिल हैं।
लोक कलाकारों में शशिकला देवी, चानो देवी, जगदम्बा देवी आदि की कृतियाँ प्रमुख हैं वहीँ समकालीन कला के क्षेत्र में प्रो. श्याम शर्मा, अनिल कुमार सिन्हा, मिलन दास, नरेन्द्र पल सिंह, उमेश प्रसाद, राजेश चन्द, सचिन्द्र नाथ झा, सूरज कुमार कशी, राजेश राम, अभिजित पाठक, त्रिभुवन कुमार, नम्रता पंडित आदि कलाकार प्रमुख हैं। प्रदर्शनी 2 4 मार्च तक चलेगी।
चित्र देखतीं माननीय मंत्री किरण वालिया |
इस अवसर पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया जिसमे रविन्द्र कुमार दास, उमेश कुमार, रविन्द्र त्रिपाठी के साथ-साथ वरिष्ठ कलाकार अनिल सिन्हा ने भी अपनर विचार व्यक्त किए।
सेमिनार में बोलते अनिल सिन्हा |
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