नई दिल्ली, 20 अक्टूबर: इस साल दिसंबर में आयोजित होने वाले 20 वें अंतर्राष्ट्रीय केरल फिल्म महोत्सव (आईएफएफके) के प्रतियोगिता वर्ग में शीर्ष सम्मान के लिए विभिन्न भाषाओं की दस अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी।
इस सूची में हादी मोहाघेघ द्वारा निर्देशित मैमिरू (इम्मोर्टल, ईरान), अनिनो सा लिकोड एनजी बुवान (शैडो बिहाइंड द मून, फिलीपींस, जून रोबल्स लाना), डिग्रेड (फिलिस्तीन, अरब नासीर), कालो पोथी (द ब्लैक हेन, नेपाल, मिन बहादुर भाम), योना (इजराइल, निर बर्गमैन), क्लारिस्से ओउ अल्गुमा कोइसा सोब्रे नोस डोइस (क्लारिस्से या समथिंग एबाउट अस, ब्राजील, पेट्रस कैरिरी), मियूरट्रे अ पैकोट (मर्डर इन पैकोट, हैती, राउल पेक), डोलान्मा (इंटैंगलमेंट, तुर्की, ट्युन्क डैवुट), बोपेम (कजाकिस्तान, झान्ना इस्साबायेवा) और जालालेर गोल्पो (जलाल्स स्टोरी, बांग्लादेश, अबू शाहिद इमाॅन) शामिल हैं।
फिल्म मैमिरू में, निर्देषक मोहाघेघ ने तन्हा और खुद से घृणा करने वाले बूढ़े आदमी की कहानी की पड़ताल की हैं जो अपराध बोध के कारण बार- बार आत्महत्या करने का प्रयास करता है। फिल्म लाना के तागालोग फीचर अनिनो सा लिकोड एनजी बुवान अपने अस्तित्व के लिये घोर संघर्श करने वाले एक शरणार्थी दंपति के दृढ़ निष्चय को दिखाता है जिसका एक सैनिक के साथ क्षीण रिष्ता कायम हो जाता है।
कैरिरी के काले जादुई नाटक, क्लारिस्से ओउ अल्गुमा कोइसा सोब्रे नोस डोइस शारीरिक, दैहिक और कामुकता पर आधारित एक दूसरे से जुड़े अनेक आख्यानों के जरिये अन्वेशण करती है।
कालो पोथी और डिग्रेड दोनों ही संघर्ष के समय में काले हास्य और नाजुक बेगुनाही रौषनी की तलाश की कहानी है। भाम की फिल्म में मुर्गी की खोज में उग्रवाद ग्रस्त नेपाल में बिगड़ते पर्यावरण के माहौल मे पहुंचे दो ग्रामीण किशोरों की कहानी है। नासिर की रूपक काॅमेडी 13 असंतुष्ट फिलिस्तीनी महिलाओं के बारे में है जो गाजा पट्टी में एक ब्यूटी सैलून में फंस जाती है। इस फिल्म का शीर्षक ही पूरी स्थितियों का बयां करती है।
फिल्म मियूरट्रे अ पैकोट में, निर्देषक पेक ने पोर्ट-ओ-प्रिंस में एक उच्च मध्यम वर्ग के समृद्ध दम्पति के 2010 में आये विनाषकारी भूकंप में उनके नुकसान और उनके द्वारा नयी चुनौतियों का सामना करने के लिए भूकंप की पृष्ठभूमि का उपयोग किया है। डैवुट डोलान्मा में दावयुत ने इसी विषय पर अनिश्चित भविष्य का सामना करने के लिए संघर्ष करने वाले दो लकड़हारे भाइयों के रूप में मुख्य पात्र को दर्षाया है।
योना वालाच हिबू्र कविता के प्रमुख हस्तियों में सबसे बड़ी सख्शियत हैं। बर्गमैन ने योना वालाच का जीवन वृत बनाया है वह उनके जीवन एवं संघर्श को बखूबी दर्षाता है। योना पुरुष प्रधान दुनिया में अपनी पहचान और स्वीकार्यता हासिल करने के लिए पहली बार कदम उठाती है।
फिल्म बोपेम और जलालेर गोल्पो जीवन की अनिष्चितताओं से उत्पन्न मासूमियत की कहानियां हैं। इस्साबायेवा की फिल्म बोपेम में गंभीर रूप से बीमार एक किषोर की कहानी है जो अपनी मां की हत्या के लिये जिम्मेदार लोगों को सजा देना चाहता है और इसमें उसका बचपन खो जाता है। इमाॅन की फिल्म जालालेर गोल्पो में जलाल की कहानी है जिसमें दिखाया गया है कि नील नदी से बचाये गये मोसेस जीवन भर संघर्श करता है लेकिन वह अपने बचपन वाले दुर्भाग्य से नहीं निकल पाता है।
इन फिल्मों का चुनाव फिल्मकार श्री कमल की अध्यक्षता वाली जूरी ने किया है। जूरी के अन्य सदस्यों में फिल्माकर श्री सुदेवान, फिल्म आलोचक श्रीमती सुधा वारियरद्वारा और श्री पी टी रामकृश्णन तथा पत्रकार श्री आर अय्यप्पन शामिल हैं।
इस अत्यंत प्रतिस्पर्धात्मक आयोजन में दो मलयालय मिल्मों - जयराज आर की फिल्म अत्ताल (ट्रैप) और सतीश बाबुसेनान की छायम पोसिया वीडु (द पेंटेड हाउस) तथा भारतीय भाषाओं की दो फिल्में - सृजित मुखर्जी की राज कहिनी (ना मैंन्स लैंड) और बुद्धयम मुखर्जी की द वायलिन प्लेयर के मुकाबले में अंतरराष्ट्रीय फिल्में भी होंगी।
केरल का मुख्य फिल्मोत्सव आईएफएफके, 2015 का आयोजन 4 से 11 दिसंबर तक होगा।