शुक्रवार, 22 मई 2015
गुरुवार, 21 मई 2015
कैनबरा संगह्रालय में रामायण पर आधारित लघु चित्रों की प्रदर्शनी
नयी दिल्ली, 22 मई: रामायण से जुड़ी लोक रूचि की कथाएं अपने देश से दूर एक दूसरे देश में बिल्कुल अलग किस्म के दर्शकों को आकर्शित करने वाली है। ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी (एनजीए) ने कैनबरा मेंं प्राचीन लघु चित्रों की एक प्रदर्शनी आयोजित की है जो प्राचीन महाकाव्य को एक साथ भव्य रूप से पेश कर रहा है। ‘‘राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली के भारतीय लघु चित्र: राम की कहानी’’ नामक तीन दिवसीय प्रदर्शनी में 17 वीं से 19 वीं शताब्दी की 101 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है और यह भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संस्कृति पर हाल में हुए समझौते के तहत पहली बड़ी पहल है। यह प्रदर्शनी कैनबरा में कल से शुरू हुई। ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी (एनजीए) के निदेशक जेरार्ड वॉन ने कहा कि ‘‘जीवंत और उत्तम भारतीय लघु चित्रो की प्रदर्शनी दीर्घा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हने कहा, ‘‘यह सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों के साथ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को साझा करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का हिस्सा है।’’ उन्होने समद्धृ विविध क्षेत्रीय शैलियों को प्रदर्शित करने वाले विस्तृत चित्रों के बारे में बात की जिन्हें राश्ट्रीय संग्रहालय (एनएम) के 17 हजार से अधिक लघु चित्रों के दुनिया के सबसे बड़े संग्रह से चुना गया है। ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी (एनजीए) में कल शुरू हुई यह प्रदर्शनी 23 अगस्त तक खुली रहेगी और आम लोगों के लिए प्रवेश निःशुल्क है।
Launch of The Story of Rama Exhibition at National Gallery of Canberra, Australia |
रामायण की कहानी को कालानुक्रमिक रूप से पेश करने के लिए 101 चित्रों का चयन करने वाले राष्ट्रिय संग्रहालय के क्यूरेटर डाॅ. विजय कुमार माथुर ने कहा कि इस संग्रह को भारत के उत्तरी, मध्य और पूर्वी प्रदेशों से जमा किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘ये लघुचित्र मुग़ल, डेक्कन, पहाड़ी, राजस्थान और मध्य भारत के स्कूलों से लिये गये हैं। वे एक परिपक्व आंदोलन का प्रतिनिधित्व करते हैं जो रामायण की भावना को रंगीन रूप में प्रतिबिंबित करते हैं। उन्होंने कहा कि 1949 में स्थापित राष्ट्रीय संग्रहालय ने 2013 में राम कथा प्रदर्शनी आयोजित की थी। उसके बाद इसे बेल्जियम ले जाया गया। दुनिया के बेहतरीन साहित्यिक कृतियों में शुमार, रामायण प्यार, वफादारी, विश्वासघात, शासन कला और बुराई पर अच्छाई की जीत की एक लोक कथा है। इस कहानी के नायक राम हैं, जो एक आदर्श राजकुमार हैं और जिनकी उनके सम्मान, वीरता और करुणा के लिए प्रशंसा की जाती है। कहानी में एक साहसिक घटना तब घटी जब राम की प्यारी पत्नी सीता का श्रीलंका के दस सिरों वाले दानव राजा रावण के द्वारा अपहरण कर लिया गया।
The great battle between Rama and Ravana c 1780 |
राष्ट्रीय संग्रहालय किशोरों के लिए 29 से 31 मई तक सुलेख कार्यशाला आयोजित करेगा
Kashkul (Mendicant’s bowl) Deccan, late 17th-early 18th century Coco-de-mer shell, copper; carving, casting Language: Arabic; Script: Naskh |
नई दिल्ली, 20 मई: राष्ट्रीय संग्रहालय (एनएम) रोजमर्रे के उपयोग की वस्तुओं पर इस्लामी शैली में सुलेख पर प्रदर्शनी के साथ-साथ, युवा पीढ़ी को सुलेख की मृतप्राय लेकिन मोहक कला से रूबरू कराने के लिए इस महीने के अंत में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। बच्चों के लिए सुलेख पर 29 से 31 मई तक आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में विषेशज्ञ 14 से 18 साल के बच्चों को प्रषिक्षण प्रदान करेंगे। हर दिन इस सत्र की शुरुआत सुबह 11 बजे होगी और यह सत्र पांच घंटे तक चलेगा जिसके तहत सुलेख विषेशज्ञ इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन करेगे और लकड़ी, धातु और कपड़ा जैसे माध्यमों पर अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए पंजीकरण 27 मई तक की जाएगी और इसमें प्रविश्टि ‘डीडीओ, नेशनल म्यूजियम, न्यू डेल्ही ’ के नाम से 300 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट का भुगतान करने के बाद पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर प्राप्त होगी। इस कार्यशाला का आयोजन उस समय किया जा रहा है जब राष्ट्रीय संग्रहालय धातु के बर्तन, लकड़ी, कपड़ा और अर्द्ध कीमती पत्थरों पर शिलालेख पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ‘‘सुलेखन कला: सुसज्जात्मक कलाकृतियों पर अरबी और फारसी लेख’’ शीर्षक वाली प्रदर्शनी में पिछली पांच शताब्दियों की 56 उपयोगी कलाकृतियों को प्रदर्शित कर रहा है। ये सभी कलाकृतियां संग्रहालय के स्वयं के रिजर्व संग्रह से ली गयी हैं। 59 दिवसीय यह प्रदर्शनी 12 जुलाई को समाप्त होगी।
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