Kashkul (Mendicant’s bowl) Deccan, late 17th-early 18th century Coco-de-mer shell, copper; carving, casting Language: Arabic; Script: Naskh |
नई दिल्ली, 20 मई: राष्ट्रीय संग्रहालय (एनएम) रोजमर्रे के उपयोग की वस्तुओं पर इस्लामी शैली में सुलेख पर प्रदर्शनी के साथ-साथ, युवा पीढ़ी को सुलेख की मृतप्राय लेकिन मोहक कला से रूबरू कराने के लिए इस महीने के अंत में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। बच्चों के लिए सुलेख पर 29 से 31 मई तक आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में विषेशज्ञ 14 से 18 साल के बच्चों को प्रषिक्षण प्रदान करेंगे। हर दिन इस सत्र की शुरुआत सुबह 11 बजे होगी और यह सत्र पांच घंटे तक चलेगा जिसके तहत सुलेख विषेशज्ञ इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन करेगे और लकड़ी, धातु और कपड़ा जैसे माध्यमों पर अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए पंजीकरण 27 मई तक की जाएगी और इसमें प्रविश्टि ‘डीडीओ, नेशनल म्यूजियम, न्यू डेल्ही ’ के नाम से 300 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट का भुगतान करने के बाद पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर प्राप्त होगी। इस कार्यशाला का आयोजन उस समय किया जा रहा है जब राष्ट्रीय संग्रहालय धातु के बर्तन, लकड़ी, कपड़ा और अर्द्ध कीमती पत्थरों पर शिलालेख पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ‘‘सुलेखन कला: सुसज्जात्मक कलाकृतियों पर अरबी और फारसी लेख’’ शीर्षक वाली प्रदर्शनी में पिछली पांच शताब्दियों की 56 उपयोगी कलाकृतियों को प्रदर्शित कर रहा है। ये सभी कलाकृतियां संग्रहालय के स्वयं के रिजर्व संग्रह से ली गयी हैं। 59 दिवसीय यह प्रदर्शनी 12 जुलाई को समाप्त होगी।
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