शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

The thrill of football films at KMB ‘14

Week-long Artist’s Cinema package on the game starts tomorrow
 A scene from Mexican artist Miguel Calderon's film 'Mexico vs Brazil', which will be shown in KMB '14's  ‘Hard Tackle: The untold story of football’ film package
Kochi, Feb 13: The Kochi Muziris Biennale 2014 is set to score with ‘Hard Tackle: The untold story of football’, a week-long package, on ‘the beautiful game’ as part of its Artist’s Cinema programme. The film screenings at the Aspinwall pavilion begin tomorrow at 7 pm.
The February 14-20 package, with films from India, the UK, Germany, Switzerland and Mexico, is curated by film critic-journalist Faizal Khan, and features short films, documentaries and features, that portray the politics, economics and socio-cultural background in the game. 
“The idea is to link society with sports to create an understanding of different cultures and as a unifying factor for people to celebrate and come together,” says Faizal, whose father Mohammed Usman played for Kerala.
Faizal and biennale director of programmes Riyas Komu have put together football film packages for the International Film Festival of India in Goa and the International Film Festival in Kerala, which proved so popular that Komu has been roped in as a consultant on this particular package in several cities, including in Indore and Pune.
Marmots playing football in animated short film 'FC Murmeli' by Swiss directors Jochen Ehmann and Dustin Rees that will be shown in KMB '14's  ‘Hard Tackle: The untold story of football’ film package
The KMB ’14 package has poignancy, humour, surrealism and some of the films feature big names on the field. “There are a couple of ‘anti-football’ films,” said Faizal. Germany’s ‘The Whole Stadium’ is a 90-minute film that only looks at the spectators and ‘Stoppage Time’ is a short on the national anthems that come at the start of the match.
Indian film ‘The Vigil’ by the Raqs Media Collective, a Delhi trio who are also exhibiting at KMB 14’s Kashi Art Gallery, features a match between two Chinese football clubs, from the point of view of the goalkeepers. Originally telecast on two screens, the 92-minute film is premiering here in a new avatar, and is being shown in a split screen. A film put together by the Berlin Film Festival to commemorate the 2006 World Cup hosted by Germany shows a short clip of India’s failed attempt to play in 1950.
The package will be advertised among the different clubs in the city and also at Fort Kochi’s Parade Ground, which is a popular local venue for the game. Malayali footballer I M Vijayan will be felicitated on February 20, the closing day.

German documentary filmmaker Lena Siebertz's 'Stoppage Time', which will be shown in KMB '14's  ‘Hard Tackle: The untold story of football’ film package

Komu noted that the film package was already set to travel to other parts of India as a KMB outreach, starting with Malappuram. “Football represents the best movements of civilians on earth,” said Komu. “There are more than 600 football films in the world; it shows the depth of interest that people have towards converting the stories around football into motion pictures.”

बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

कोच्चि- मुजिरिस बिनाले में एन. एस. हर्ष की कलाकृति ‘‘मैटर’’ और इंफिनिटी

कोच्चि, 11 फरवरी: कोच्चि - मुजिरिस बिनाले, 2014 के क्यूरेटर जितिश कलात जब कलाकार एन. एस. हर्ष के पास पहुंचे तब वह बंदर के आकार वाली अपनी खास कलाकृति को सजाने-संवारने में जुटे थे। उस कलाकृति को देखकर श्री कलात के मुंह से अनायास निकल गया, ‘‘वह निश्चित रूप से इस कलाकृति को लेना चाहेंगे।’’
इससे प्रेरित होकर एन. एस. हर्ष उस कलाकृति को अंतिम रूप देने में जुट गये और महीनों की उनकी मेहनत रंग लायी और इस मेहनत की परिणति बिनाले में ‘‘मैटर’’ नामक कला-कृति स्थापित की। ‘‘मैटर’’ नामक कलाकृति साधु सरीखा बंदर है जिसके एक हाथ में ‘‘गोलाकार’’ वस्तु है जबकि दूसरे हाथ से वह आकाश की ओर इशारा कर रहा है। बिनाले के आयोजन स्थलों में से एक पेपर हाउस में प्रवेश करते ही आगंतुकों के सामने यह कलाकृति दिखाती है। उनकी एक कलाकृति ‘‘पुनरापी जननम पुरापी मरनम’’ (एक बार फिर जन्म, एक बार फिर मृत्य) बिनाले के अन्य आयोजन स्थल एस्पिनवाल में प्रदर्शित की गयी है। 

Mysore-based artist N S Harsha at his KMB '14
 work 'Punarapi Jananam Punarapi Maranam' at Aspinwall 
वह क्यों संघर्ष कर रहा था? मैसूर के कलाकार कहते हैं, ‘‘मैं किसी भी मैटर को आमतौर पर कल्पना के साथ बहुत ही साधारण ढंग से संभालता हूं। और यह वास्तव में जमीनी और भारी है। बंदर यह सुझाव देते हुए ब्रह्मांड की ओर इशारा कर रहा है कि यह ‘‘हमेशा के लिए’’ है और हमारी शाश्वत मानव खोज है। यह कलाकृति यह बताती है कि आप गहराई से क्या महसूस करते हैं और जिसके लिए आपके पास शब्द नहीं है।’’ 
हर्ष की कृतियों में बंदर एक आवर्ती विषय है। बर्लिन के सांस्कृतिक परिसर, अगस्तस्ट्रासी 10 में उनकी मूर्तिकला इंस्टालेशन ‘‘तमाशा’’ में लंगूरों के झुण्ड को दर्शाया गया है जिसने इमारत पर कब्जा कर लिया है। बर्लिन और लंदन में रहने वाले, लेकिन हमेशा मैसूर वापस आने को इच्छुक कलाकार कहते हैं, ‘‘बंदर हमेशा सक्रिय रहते हैं। वे मेरे मन के लिए रूपक हैं। मैं उन्हें अपने स्टूडियो में लेकर आया। मुझे वह अच्छे लगते हैं । पशु मेरी सोच में बसे हुए हैं।’’
‘पुनरापी जननम पुनरापी मरनम’ का शीर्षक उन्होंने जन्म और मृत्यु के अंतहीन चक्र पर एक संस्कृत भजन से लिया है, जो बिल्कुल अलग प्रकार का भजन है। इस कलाकृति का 79 फीट गुना 12 फीट का विशाल आकार खौफनाक लेकिन प्रेरणादायक है। इसमें ब्रह्मांड को घूमते हुए चित्रित किया गया है जिसे एक अनंत लूप के रूप में प्रस्तुत किया गया है जिसमें  तारों और ग्रहों को बिंदी के रूप में दिखाया गया है। यह स्थान और समय के माध्यम से एक कभी न खत्म होने वाली यात्रा है।
45 वर्षीय कलाकार कहते हैं, ‘‘इसे एक नाटकीय पृष्ठभूमि के विचार के साथ बनाया गया था। यह एक डूडल है लेकिन मानव पैमाने पर नहीं। जब लोग इसके पास जाते हैं, इसे देखते हैं और इसके आकार से बात करना चाहते हैं तो ऐसा लगता है मानो लोग अंतरिक्ष के चारो ओर घूम रहे हैं । कला मेरे माध्यम से नहीं, बल्कि मेरे द्वारा बनायी जाती है। हमें यह विचार करना होगा कि हम सिर्फ माध्यम हैं जो इस अनंत ब्रह्मांड के माध्यम से गुजरता है।’’
Mysore-based artist N S Harsha at his KMB '14
work 'Punarapi Jananam Punarapi Maranam' at Aspinwall
कलात कहते हैं ‘पुनरापी जननम पुनरापी मरनम’ बहुत बड़े  अनुपात में एक अकेला ब्रश स्ट्रोक की तरह है। यह इतना बड़ा और विस्तुत है कि इसमें एक पूरा ब्रह्मांड समा सकता है। कलात कहते हैं, ‘‘टेढ़ा - मेढ़ा ब्रश स्ट्रोक एक अंतहीन लूप की तरह खुद में ही वापस आ जाता है मानो यह एक अन्य ब्रह्मांड से मिलने के लिए यात्रा कर रहा है। ‘‘व्होल्र्ड एक्सप्लोरेशन्स’’ में ‘‘मैटर’’ आकाशीय और स्थलीय के बीच एक पुल है।’’
उन्हें लगता है कि ‘‘व्होल्र्ड एक्सप्लोरेशन्स’’ का क्यूरेटर थीम एक आकस्मिक संबंध की अनुमति नहीं देता है, आरै वास्तव में यह लोगों को ‘‘ब्रह्मांड में उनकी स्थिति’’ के बारे में बड़े सवाल पूछने के लिए मजबूर करता है।वह कहते हैं , ‘‘मैं इस बात को लेकर उत्साहित था कि इस क्षेत्र को खोजने में  लोगों को कितनी सदियां लगी। लेकिन जितिश ने इसे लोकप्रिय बनाने के लिए एक मंच के रूप में देखा। हमने हमेशा सांस्कृतिक गतिविधि के लिए भारत के उत्तर की ओर देखा, लेकिन मैने महसूस किया कि बिनाले दक्षिण को देश में एक मुख्य केद्रं बना सकता है। यह मेरे लिए बहुत खास था कि यह दक्षिण में हो रहा है।’’
हर्ष टोक्यो के समकालीन संग्रहालय, मोरी आर्ट्स सेंटर  के मुख्य क्यूरेटर जापान के मामी काटौका के साथ दूसरी बार केएमबी का दौरा  कर रहे थे, जो 2016 में  उनकी कलाकृतियों का एक पूर्वव्यापी आयोजन कर रहा है।

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

कला मंगल की अगली कड़ी - छायाचित्रों की प्रदर्शनी

पटना 10 फ़रवरी ;  बिहार ललित कला अकादमी के रूटीन कार्यक्रम कला मंगल की अगली कड़ी के रूप में  छायाचित्रों की सामूहिक प्रदर्शनी  का उद्घाटन आज अकादमी कला दीर्घा में हुआ। प्रदर्शनी का उद्घाटन अकादमी के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कलाकार आनंदी प्रसाद बादल नें फीता काट कर किया। इस अवसर पर एक कैटलॉग का भी लोकार्पण किया गया। प्रदर्शनी के संयोजक अंकित रंजन पाठक हैं। 
प्रदर्शनी में छायाकार शशि रंजन प्रकाश , रवि कुमार गुप्ता , अंकित रंजन पाठक , माधुरी लहेरी , विश्वजीत कुमार , विनीता सिन्हा की करीब 60 छायाचित्रों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी इस महीने की 15 तारीख तक चलेगी। 


Singapore President Calls for Deepening of Cultural Ties with India

·        Peranakan Exhibition Gets Underway at National Museum 

New Delhi, Feb 10: Singapore opened a window on the celebrated hybrid culture of Peranakan Chinese settlers by holding an exhibition for the first time in India at the National Museum here today with its President Dr. Tony Tan Keng Yam emphasizing the importance of holding such events to enhance and deepen bilateral ties.
 
Singapore President Dr Tony Tan Keng Yam lights the lamp, opening the Peranakan Exhibition at National Museum, Delhi, on feb 10. Left of him are Museum D-G Dr Venu Vasudevan and top bureaucrat Mr Raghav Chandra
“Such an exhibition promotes a better understanding of Singapore’s multi-racial communities and how they form the core of its identity,” Dr Tan said, while inaugurating the one-and-a-half-month-long exhibition, ‘The Peranakan World -- Cross-cultural Art of Singapore and the Straits of Malacca’.

Recalling the historical ties between Singapore and India, he noted that the two countries share administrative, and judicial systems even today. "India has a profound impact on the culture of Singapore," the President said, and revealed that the Southeast Asian country would be hosting an India culture festival this year and open an Indian Heritage Centre as well.

The Peranakan exhibition is part of President Tan’s first state visit to India to commemorate the 50th anniversary of the establishment of diplomatic relations between the two countries. He was accompanied by Ms. Grace Fu, Minister in the Prime Minister’s Office and Second Minister for Foreign Affairs; Mr. Lawrence Wong, Minister for Culture, Community and Youth, and Mrs. Rosa Daniel, Chief Executive Officer, National Heritage Board, Singapore.

The Peranakan Chinese are descendants of southern Chinese traders who settled in Southeast Asia and married local women. Their culture is rooted in Chinese traditions, but with strong influences from Southeast Asia and Europe.  Peranakan art in this exhibition reflects the diverse influences of Indian, Chinese, Malay and European cultures that were fused into a distinctive style.
 
Singapore President, Dr Tony Tan Keng Yam signing
 the Visitor's Book after inaugurating the Peranakan Exhibition
at National Museum, Delhi, 
In her address, Mrs. Rosa Daniel, Deputy Secretary for Ministry of Culture, Community and Youth, said this is the first exhibition from Singapore in India which presents a wonderful array of Peranakan objects: textiles, costumes, jewellery, beadwork, colourful porcelain and opulent furniture. Many of these objects fuse forms and techniques from different cultures: Chinese, Indian, Malay and European.

 Elaborating, she said the characteristic of the sarong has its source in India: printed cotton textiles from Gujarat and the Coromandel Coast were exported to the Malay world, which inspired Batik versions made by Peranakans and the other ethnic groups in Southeast Asia.

National Museum Director-General Dr. Venu Vasudevan said the exhibition would signal the "beginning of an enduring relation" between National Museum and museums of Singapore. "The exhibition was mounted in a record time, which is a testimony to the deep and multi-layered ties between the two countries," he added.

Mr Raghav Chandra, Additional Secretary and Financial Advisor, Union Ministry of Culture, also spoke at the function, which was attended, among others, by Mrs Tan, the wife of the Singapore President.

With 122 objects from the 1912-founded Peranakan Museum, supplemented by loans from collectors in Singapore, the exhibition, which runs through March 25, gives a fascinating account of how Chinese immigrants married locally, developed new hybrid forms, and created a unique culture in their new homes in Southeast Asia.

The objects at the exhibition date back to the late 19th and early 20th centuries and depict four themes: Chinese sources; influences from the Malay world and the Indian Ocean; the response to Europe; and the role of Peranakans in shaping modern Southeast Asia.

The first major exhibition of Indian antiquities in Singapore that was held in 1994 at Asian Civilisations Museum. As many as 330 artefacts from The National Museum, Delhi were displayed in “Alamkara: 5000 years of India”, which saw a record 165,000 visitors.

Dr Alan Chong, Director of the Asian Civilisations and Peranakan Museum, said, “Peranakan art is an important example of multi-cultural exchange. Many of the textiles, porcelain and beadwork in the exhibition are unmistakably Peranakan, yet can trace sources to India, the Malay world, Europe and China. The exhibition also strengthens the idea that culture is shared. Port cities like Singapore have been formed by centuries of trade, immigration and colonial rule.”

For instance, the sarong kebaya originated in the mixed communities of Goa and Sri Lanka and then travelled to Southeast Asia. Indian cotton was used as clothing and inspired and developed in Southeast Asia batik. Furniture design was similarly shared in the Coromandel Coast, Sri Lanka and Java.

A major component of the exhibition is the Peranakan jewellery. For Peranakans, jewellery is an important cultural marker, a treasured heirloom, an indicator of social standing, and often part of a bride’s dowry.

A gold belt buckle, a kerosang (made of gold and diamonds), a cotton altar cloth bearing dragon motifs and inscriptions, portraits for ancestor veneration, and a flower basket wedding bed hanging are among the other fascinating art objects on display. 


The exhibition also showcases the Chinese porcelain specially made for Peranakan patrons. Peranakan porcelain, called “nyonyaware”, is characterised by vivid, contrasting colours. Buddhist emblems, mythical beasts, and flowers and birds, often within lobed panels, animate the surfaces.