सोमवार, 24 दिसंबर 2012
शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012
DELHI INTERNATIONAL FILM AND ART FESTIVAL,2012
शनिवार, 24 नवंबर 2012
गुरुवार, 1 नवंबर 2012
विरासत कलाकार शिविर , 2012, देहरादून
इन दिनों देहरादून के अम्बेडकर स्टेडियम में वार्षिक क्राफ्ट मेला का आयोजन किया जा रहा है / इसमे देश के करीब 100 स्टाल लगे गए हैं / इस मेले में जो सबसे खास आकर्षण का विषय है वह है देश-विदेश से आए विभिन्न कलाकारों द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय , सूफी एवं लोक संगीत का कार्यक्रम / इस अवसर पर देश के अलग-अलग प्रदेशों से आए करीब पंद्रह चित्रकारों की कला कार्यशाला का भी आयोजन किया गया है /
मेले का शुभारम्भ 29 अक्तूबर को हुआ / समापन 10 नवम्बर को होगा / कला शिविर का समापन 4 नवम्बर को होगा / शिविर में बनी कृतियों को 10 नवम्बर तक प्रदर्शित किया जाएगा /
मेले का शुभारम्भ 29 अक्तूबर को हुआ / समापन 10 नवम्बर को होगा / कला शिविर का समापन 4 नवम्बर को होगा / शिविर में बनी कृतियों को 10 नवम्बर तक प्रदर्शित किया जाएगा /
शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012
शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012
रविवार, 30 सितंबर 2012
सोमवार, 20 अगस्त 2012
मीनाक्षी झा के चित्रों की एकल प्रदर्शनी का शुभारम्भ
यूँ तो बिहार के कई कलाकार सक्रिय रूप से कला सृजन कर रहे हैं पर कुछ हीं कलाकार ऐसे हैं जिनकी कलाकृतियों में अपनी मिट्टी की खुशबू महसूस होती है / ऐसे हीं कलाकारों की श्रेणी में एक नाम है महिला कलाकार मीनाक्षी झा का , जिनके चित्रों में उनकी जन्म स्थली मिथिला का बखूबी दर्शन होता है / उनके चित्रों में मधुबनी चित्र की झलक बखूबी दिखाई देती है /
इन दिनों दिल्ली की मशहूर कला दीर्घा ललित कला अकादमी में मीनाक्षी झा के चित्रों की एकल प्रदर्शनी चल रही है / इस प्रदर्शनी का शुभारम्भ इसी महीने की 18 तारीख को हुआ जो 24 अगस्त तक गैलरी सं . 1 में चलेगी /
इन दिनों दिल्ली की मशहूर कला दीर्घा ललित कला अकादमी में मीनाक्षी झा के चित्रों की एकल प्रदर्शनी चल रही है / इस प्रदर्शनी का शुभारम्भ इसी महीने की 18 तारीख को हुआ जो 24 अगस्त तक गैलरी सं . 1 में चलेगी /
शनिवार, 28 जुलाई 2012
The Hundred-Year Childhood
‘Century of the Child: Growing by Design, 1900-2000’ at MoMA
Childhood, it is often said, is a recent invention. Children used to be treated as small adults to be put to work as soon as possible.http://www.nytimes.com/2012/07/27/arts/design/review-century-of-the-child-at-moma.html?_r=1
गुरुवार, 26 जुलाई 2012
आनंदी प्रसाद बादल की एकल चित्रकला प्रदर्शनी
बिहार इन दिनों कला के क्षेत्र में दिन -प्रतिदिन बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है / पिछले कुछ दिनों में यहाँ कई ऐसे कार्यक्रम सरकार द्वारा आयोजित किए गए है जो बिहार को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर लाने का पहला कदम माना जा सकता है /
हाल ही में जाने- माने वरिष्ठ चित्रकार श्री आनंदी प्रसाद बादल की एकल चित्र प्रदर्शनी का आयोजन पटना स्थित कला एवं शिल्प महाविद्द्यालय की कला दीर्घा में हुआ / अशोक कला मंदिर द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन दिनांक 12 जुलाई को बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार ने किया, जिसका समापन 15 जुलाई को हुआ / इस अवसर पर श्री बादल की कविता एवं चित्रोँ की किताब का भी लोकार्पण मुख्यमंत्री द्वारा किया गया /
प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर की खास बात यह भी रही की इस अवसर पर दो लोगो को सम्मानित किया गया / बादल साहित्य साधना सम्मान साहित्यकार डा. शिवनारायण को तथा बादल कला साधना सम्मान युवा मूर्तिकार श्री अमरेश कुमार को दिया गया / इस अवसर पर श्री विनय कुमार ( निदेशक, कला कार्य) एवं वरिष्ठ कला समीक्षक श्री अवधेश अमन ने भी संबोधित किया /
बुधवार, 18 जुलाई 2012
सितारों से जा मिला सुपरस्टार
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। फिल्मों के आखिर में मर जाने वाले नायक
के अविस्मरणीय रोल अदा कर अमर हो गए बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना
यानी अपने काका नहीं रहे। अपनी यादगार फिल्म 'आनंद' के मशहूर डायलॉग,
'बाबू मोशाय, जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए' को उन्होंने भरपूर जिया।
शोहरत की बुलंदियों से गर्दिश के गुबार तक जिंदगी के एक-एक पल का आनंद
लिया।.........................
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/super-star-rajesh-khanna-passes-away_5_1_9482466.html
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/super-star-rajesh-khanna-passes-away_5_1_9482466.html
मंगलवार, 17 जुलाई 2012
गोबर से खरीद लिया सौ करोड़ का बंगला
दिल्ली (ब्यूरो)। कैसे गोबर से भी पैसा बनाया जा सकता है वो भी कला के जरिए
यह साबित किया है बिहार के छोटे गांव से सफर शुरू करनेवाले सुबोध गुप्ता
ने। दिल्ली के इस कलाकार ने फिर धमाका किया है। इस बार यह हलचल राजधानी के
रियल एस्टेट मार्केट में हुई है। गुप्ता और उनकी आर्टिस्ट पत्नी भारती खेर
ने लुटियंस दिल्ली के सुंदर नगर में 865 वर्ग यार्ड प्लॉट में बने एक बंगले
को खरीदा है। इसकी कीमत 100 करोड़ बताई जा रही है। कपिलदेव भी इसी इलाके
में रहते हैं।....................
http://hindi.oneindia.in/news/2012/07/17/states-artist-subodh-gupta-buys-delhi-house-for-rs-100-crore-220003.html
http://hindi.oneindia.in/news/2012/07/17/states-artist-subodh-gupta-buys-delhi-house-for-rs-100-crore-220003.html
शनिवार, 30 जून 2012
प्रमोद के चित्रों की एकल प्रदर्शनी
पटना कला महाविद्द्यालय का इतिहास बहुत हीं सुनहरा रहा है / यहाँ के पूर्व छात्रों ने देश में हीं नहीं दुनिया भर में अपना जलवा बिखेरा है / प्रमोद कुमार एक ऐसे हीं कलाकार है जो कला महाविद्द्यालय पटना से चित्रकला में डिग्री लेने के बाद साऊथ अफ्रीका में रह कर कला सृजन कर रहे हैं / ये अपने कैनवास पर आकर्षक रंगों से अमूर्त रूप गढ़ते हैं /
प्रमोद के चित्रों की एकल प्रदर्शनी का आयोजन अमेरिका के 5तत्व कला दीर्घा में आज से हो रहा है / स्तानीय समय के अनुसार शाम 4 बजे इस प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा /
शुक्रवार, 29 जून 2012
चीनी कलाकार पर 23 लाख डॉलर का जुर्माना
सरकार के मुखर विरोधी रहे चीनी कलाकार आई वेईवेई ने कहा है कि अधिकारियों
ने उन्हें कर चोरी के कथित मामले में 15 दिन के भीतर 23 लाख डॉलर का भुगतान
करने का नोटिस दिया है. ...................
http://www.bbc.co.uk/hindi/china/2011/11/111101_china_aiweiwei_akd.shtml
चीनी कलाकार आई वेईवेई |
http://www.bbc.co.uk/hindi/china/2011/11/111101_china_aiweiwei_akd.shtml
बुधवार, 16 मई 2012
The Dark Horse at MoMA
TAHALKA.COM
(MOMA). Started in the 1920s by John D Rockefeller Junior’s wife Abby, MOMA is
today a veritable hive of artworks where Monet, Van Gogh, Picasso, Dali, Warhol
and Pollock breathe the same air as Damien Hirst, Anish Kapoor, Jeff Koons, Ai
Weiwei and Takashi Murakami.
Museum of Modern Art’s newest find,
artist Shambhavi Singh is charting a quiet and spectacular journey
across the contemporary Indian art scene, finds Sahar Zaman
Canonisation Shambhavi |
Beej Brahmaand Ek, the work acquired by MoMA |
Born in Patna, Shambhavi’s journey
may not have been as meteoric as her contemporary Subodh Gupta’s, but it has
been rich and rewarding. She came to Delhi in the ’90s to do her Master’s in
art and then decided to stay on as the Capital provided a more fertile ground
for her ideas. And now with the ultimate seal of approval, she only has good
memories of a career spanning almost two decades. “I was surprised when I got
the confirmation in February,” she says about her MOMA entry, “It’s a dream
come true. But I’m pretty sure that I’m not going to change my style. I will
still work in the same space, without bothering much about being in frequent
circulation,” says the 46-year-old artist.
Unlike many of her fellow artists,
Shambhavi prefers a near-anachronistic commitment to those who recognised her
worth in her days of struggle. She has only been associated with two galleries
so far, a rare feat in contemporary art. At present, however, there is only one
gallery that represents her both in Delhi and New York. And though she has
mostly done solo shows, Shambhavi has not really bothered about being in a
group show with other artists. And while her contemporaries, artist power
couple Subodh Gupta and Bharti Kher have made headlines as being India’s
highest-selling artists, who sometimes command prices that are way out of the
reach of Indian buyers, Shambhavi has always been shy of the price-fuelled
numbers race. Her artworks are believed to fetch anything between Rs 20 lakh
and Rs 60 lakh. She has instead concentrated on cementing a place into what can
truly be referred to as contemporary art’s Hall of Fame. Other Indian artists
who have been bought by MOMA for its permanent collection are modern masters
like Krishen Khanna and Satish Gujral. In fact, Shambhavi is the only
contemporary artist from India to be given that honour. “She will go a long way
since she has chosen the right path. I love the energy in her works which is
very unlike her quiet personality,” observes Subodh Gupta. While art critic
Rajeev Sethi concurs, “There is no obsessive desire to be different for the
sake of it. She’s not stuck with a set image that she has to pump herself up
to. Most artists have got fixated with their images but she is wide eyed,
wondering and extremely open to the world of new craft skill, new material and
new contexts.”
The work acquired by MOMA is called
‘Beej Brahmaand Ek’ (Cosmic Seeds Light). It’s an installation of a set of 10
circular prints made by the process of etching. It is an arduous process that
uses copper plates pressed onto handmade paper. While the medium of the work
maybe organic, its scale makes all the difference. Hung up on a wall, its
various parts take up a space of 30 feet x 40 feet. The work was made during an
artist’s residency-workshop at the prestigious Singapore Tyler Print Institute
(STPI) last year. “The line drawing inside each paper disc has objects used in
the villages for taking out water and separating husk from grain. But in the
larger picture, these discs become seeds. Seeds in the universe as quantum of
energy that never dies, it only changes form,” explains the artist.
AS A practitioner, Shambhavi finds herself drawn to nature. What
she does find more fascinating, though, is not just nature, but man’s labours
upon it, how he struggles to find meaning in his livelihood. Therefore, the
colours and forms associated with cultivation — the tilling of land,
irrigation, harvest — appeal to her. Recently, earthy shades have begun to
dominate her palette. She says it reminds her of her growing up years in Patna
when she went to her maternal village, Tunning Ganj, during holidays. “After
sunset, the darkness without any electricity had its own beauty. I could see
the real colours of dawn and dusk without any artificial light around. So a lot
of my early canvases had huge splashes of black because I was trying to show
the beauty in that darkness. [Also] I come from a rural background, so my
village and the fields have been my visual inspirations. Something as simple as
the play of light inside the dark water well has fascinated me as a young
girl.”
This transition has often surprised
her only gallerist, Deepak Talwar of Talwar Gallery, who represents her in
Delhi and New York. “She has been our artist since 2006. I have noticed the expansion
of her oeuvre in an unexpected new direction. From experimenting with
sculptural objects to new media, she has done it all,” he says. The form is
important to Shambhavi’s works, as is the emphasis she gives on colours. Art
writer Meera Menezes argues, “Shambhavi Singh’s works are subtle, delicate and
imbued with a great sensitivity. By choosing a non-narrative mode of
expression, she relies instead on the play of colour to convey both emotions
and sensations.”
Reaper’s Melody is one such work that takes an unexpected turn. It’s an
installation of about 5,000 sickles in iron and copper placed on the ground. In
this work, Shambhavi tries to make a statement about farmers in her home state
Bihar who’ve surrendered their tools. “They [the farmers] cannot articulate
their problems to us but the lack of education and electricity is still a major
problem in their lives,” she says.
|
Despite the issues she aims to address through her work, the works themselves do not betray a sense of hopelessness. In fact, her palette has achieved the exact opposite. Her husband and writer Sanjog Sharan perhaps gets it right when he describes her work as a celebration. “The shift in Shambhavi’s palette means that she has allowed celebration to enter her ruminations on farmers through rich, vibrant hues,” he writes in her STPI catalogue, “The farmer has opportunities in life for celebration. He nourishes us all. Similarly, Shambhavi has come out of her solitude as well, finding illumination through her contemplations on the essence of light that she has discovered in her recent works.” Her latest feat is a further celebration of that self- discovery.
Zaman is an independent arts
journalist, curator and news caster.
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