शनिवार, 28 अप्रैल 2012

सामूहिक कला प्रदर्शनी

           कला एक माध्यम  है अपनी बातों को दूसरों तक पहुँचाने का / जब इंसानों के पास अर्थपूर्ण शब्द नहीं थे तब  रेखाचित्र हीं एक जरिया था परस्पर संवाद का / तब है की उन दिनों कला जैसे कोई शब्द नहीं थे चित्रों का निर्माण हमारी जरुरत थी शौक नहीं / जब हमने शब्द गढ़ लिए आपसी संवाद के लिए आसन तरीका चुन लिया तब इन  रेखाचित्रों को जटिल  एवं सुन्दर बनाने लगे और इसे हमने कला का नाम  दिया  / तब से आज तक इस  क्षेत्र में लगातार प्रयोग  होते रहे हैं  /  आज के समय में कला एक जरिया है अपने पूर्वजों से संवाद करने का उनसे मानसिक रूप से जुड़ने का / इन्हीं भावनाओं से प्रेरित होकर कलाकार कला सृजन करता है /

           दिल्ली की ललित कला अकादमी ने कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से कला दीर्घा का निर्माण किया है जहाँ देश विदेश के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं/ इन दिनों यहाँ देश के जाने-माने कला समीक्षक एवं कलाकार श्री वेदप्रकाश भारद्द्वाज ने एक सामूहिक कला प्रदर्शनी का आयोजन किया है / इस प्रदर्शनी में देश के विभिन्न भागों से ८ कलाकारों की कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई है / अजय उपासनी, अर्चना यादव, अशोक भंडारी, रविन्द्र कुमार दास, संजू दास,  के साथ-साथ  वी. पी. भरद्वाज की चित्र  कृतिया तथा दिनेश पाल एवं  एस . एल . बाथम की मूर्ति शिल्प  प्रदर्शित है /  प्रदर्शनी की सुरुआत २३ अप्रैल को हुआ , सात दिनों की इस प्रदर्शनी का समापन २९ अप्रैल को होगा / 
               
             
           

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