शिक्षक की भूमिका को उजागर करने के लिए 2 दिन का समारोह 17 जनवरी से दिल्ली में
नयी दिल्ली, 13 जनवरी : देश के चार जाने.माने कलाकार दिल्ली में आयोजित नृत्य और संगीत के दो दिवसीय समारोह में अपनी कला का रंग बिखेरेंगे। 17 जनवरी से शुरू हो रहे इस समारोह का आयोजन रजा फाउंडेशन ने किया है।
' महिमा ' नाम से आयोजित होने वाला यह समारोह आधुनिक भारतीय चित्रकार सैयद हैदर रजा की स्मृति में आयोजित किया जा रहा है जिसमें भारत के मनमोहक अदाकारों की परम्पराओं में गुरू की मौजूदगी, उसका अर्थ और उसकी प्रासंगिकता को उजागर करने का प्रयास किया गया है।
रजा फाउंडेशन के प्रमुख अशोक वाजपेयी ने बताया, "चारों कलाकार शिक्षक की भूमिका में, वैयक्तिक परिकल्पना के संस्थापक और शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय नृत्य में प्रवर्तक के रूप में गुरू की उपस्थिति खोजेंगे"।
'महिमा.गुरू की वापसीष' (रिटर्न ऑफ द गुरू) समारोह की शुरूआत ग्रैमी पुरस्कार के लिए नामजद इमदाद खान घराना के सितार वादक उस्ताद शुजात खान त्रिवेणी कला संगम में करेंगे। उस्ताद शुजात खान सितार के तार कुछ इस तरह छेड़ेंगे जिससे उनके पिता और गुरू मशहूर सितार वादक उस्ताद विलायत खान की स्मृतियां उभर जाएंगी।
प्रसिद्ध सितारवादक ने कहा, "उन्हें इस समारोह में सितार बजाने का इंतजार है जिसमें हमारे जीवन में हमारे गुरू की भूमिका को उजागर करने और उसे गौरवान्वित करने का अवसर मिलेगा। हम जो कुछ भी अपने गुरूओं से सीखते हैं जितनी बार हम अपने वाद्य यंत्र उठाते हैं वह हमारी कला में शामिल होता जाता है।"
उसी दिन कपिला वेणू कूडीयट्टम नृत्य प्रस्तुत करेंगी। कपिला ने केरल का यह परम्परागत नृत्य अपने पिता के गुरू मशहूर नर्तक अमानुर्र माधव चकयार से युवावस्था में सीखा। साथ ही उन्होंने अपने शुरूआती वर्ष उषा नांगियार के साथ बिताए जो चकयार की शागिर्द थीं। उनके पिता कूडीयट्टम नर्तक जी वेणू ने बाद में उन्हें अमानुर्र माधव चकयार ने अपने संरक्षण में ले लिया।
कपिला ने कहा, "मैं इसे ईश्वर का वरदान मानती हूं कि शुरूआती वर्षों में मुझे अपने गुरूजी से सीखने को मिला और बाद में मेरे पिता मेरे उस्ताद बने। मुझे इस समारोह का बेसब्री से इंतजार है, जिसमें गुरू की भूमिका को उजागर किया जाएगा।"
समारोह का दूसरा दिन जयपुर.अतरौली घराना की अश्विनी भीड़े के खयाल वादन से होगा। संगीत के क्षेत्र में कबीर के भजनों की गायकी के लिए मशहूर मुम्बई की इस गायिका ने नारायणराव दातार और अपनी मां माणिक भीड़े से प्रशिक्षण लिया। पंडित रत्नाकर पाई 2009 में अपनी मृत्यु तक उनके गुरू रहे।
समारोह का समापन मशहूर ओडिसी नृत्यांगना माधवी मुदगल के नृत्य से होगा जो अपने गुरू केलूचरण महापात्र को केन्द्र में रखकर नृत्य प्रस्तुत करेंगी।
माधवी ने कहा, " मैं उनकी नृत्यकला को प्रस्तुत करूंगी जो मैंने कई वर्ष पूर्व उनसे सीखी थी। यह विशेष कार्य है और विभिन्न टुकड़ों का समावेश है। हम केवल उस घेरे का विस्तार कर रहे हैं जो कुछ भी हमने उनसे सीखा है।"
रजा फाउंडेशन के कार्यकारी ट्रस्टी अशोक वाजपेयी ने बताया कि यह कार्यक्रम पिछले वर्ष मित्रों की निजी पहल पर पहली बार आयोजित किया गया था। इसके बाद यह दिल्ली में इसने इस तरह के वार्षिक मंच का रूप लिया है।
वाजपेयी ने कहा "इस कार्यक्रम के केन्द्र में गुरू रहेंगे जिनकी भूमिका आज कमजोर हो गई है हांलाकि गुरू के सम्मान का ढोंग बहुत हो रहा है। रजा फाउंडेशन ने इस प्रयास को वार्षिक कार्यक्रम बनाने का फैसला किया है। हमने युवा शागिर्दों को केन्द्र में रखकर 'उत्तराधिकार ' कार्यक्रम आयोजित किया जिसकी पिछले वर्ष जाने.माने गुरूओं ने सिफारिश की थी। दोनों ही कार्यक्रम अब हर वर्ष आयोजित होंगे।
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