सदियों से कला-संस्कृति एवं रीति-रिवाजों के लिए बिहार का नाम अलग रहा है। यहाँ का अतीत काफी स्वर्णिम रहा है। भाषा बोली एवं परम्पराओं की विविधता के साथ ही कई योद्धा एवं ज्ञानी पुरुषों ने इस धरती के मान को बढ़ाया एवं भारतीय इतिहास में दर्ज कराया।
सम्राट अशोक, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर से लेकर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की अलग-अलग कथा कहानी है। एक तरफ भोजपुरी, मगही , अंगिका, बज्जिका आदि बोलियों की अपनी संस्कृति है तो दूसरी तरफ मैथिल की अपनी सौंदर्य रचना है।
विविधता की दुनिया में कल्पना करते हुए अपनी-अपनी सौंदर्य दृष्टि एवं कल्पनाओं के अनुरूप देश के २२ चित्रकारों ने बिहार म्यूजियम, पटना में चित्रों की रचना की। कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार द्वारा आयोजित इस कला शिविर में अशोक तिवारी, नरेंद्र पाल सिंह, त्रिभुवन कुमार देव, भुनेश्वर भास्कर, नवल किशोर, राजेश चन्द, मानस रंजन जेना, राजेश श्रीवास्तव, के. के. गाँधी, शिखा सिन्हा, अजय नारायण, मनीषा जैन, रविन्द्र दास, धर्मेंद्र कुमार, मिलन दास, मनोज बच्चन, कुसुमलता शर्मा, सोनल गुप्ता, विम्मी इंद्रा, डगलस, अनिल बिहारी, अनूप चाँद आदि हैं। शिविर के क्यूरेटर अमृत प्रकाश साह एवं म्यूजियम के निदेशक श्री युसुफ से कार्यक्रम के दौरान काफी गंभीर बातचीत होती रही। कलाकारों एवं कलाप्रेमियों के बीच आठ दिनों के इस शिविर में कई सुखद अनुभवों का एहसास हुआ। रंगों की आकृतियों में आनंद का अनुभव होता रहा ........ काफी सुखद क्षण रहा ........
भुनेश्वर भास्कर ___________
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