शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

प्रयोगात्मक कार्यों की बजाय परिपक्व कृतियाँ ज्यादा दिखी इंडिया आर्ट फेयर 2015 में

राजेश चन्द 
9811483558 

इंडिया आर्ट फेयर 2015 का उद्घाटन अवसर 
नई दिल्ली , 30 जनवरी : इन दिनों भारत में दो अति महत्वपूर्ण कला गतिविधियाँ चल रही है। एक कोच्चि मुजरिस बिनाले और दूसरी इंडिया आर्ट फेयर, नई दिल्ली । दोनों  ही अपने जगह  पर अपनी विशेषताओं की वजह से महत्वपूर्ण है। एक कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है तो दूसरी कलाकार के लिए विशेष महत्व रखती है। कोच्चि मुजरिस बिनाले भारत में प्रयोगात्मक कलाओं का सबसे  बड़ा महाकुम्भ है जहाँ कलाकार बाजार की परवाह किये बगैर स्वच्छंद  रूप से अपने विचारों को व्यक्त करता है जो समकालीन कला या आधुनिक कला के लिए अति महत्वपूर्ण है वहीँ दिल्ली का  इंडिया आर्ट फेयर  भारत में कला के बाजार के लिए रास्ता तलाश करने का महत्वपूर्ण जरिया है। 
राजेश राम  की मूर्ति शिल्प 
दिल्ली के ओखला स्थित एन एस आई सी प्रदर्शनी स्थल  में  इण्डिया आर्ट फेयर 2015 का शुभारम्भ कल 29 जनवरी को हुआ । 1 फरवरी तक चलने वाले इस फेयर में प्रयोगात्मक कार्यों की बजाय परिपक्व कृतियाँ ज्यादा दिखी। काम का स्तर पिछले आर्ट फेयर के मुकाबले आकर की दृष्टिकोण से छोटा परन्तु सौंदर्य, कलात्मक एवं कलाकार की निपुणता के दृष्टिकोण से बहुत हीं उन्दा कही जाएगी। 
सूरज अपनी पेंटिंग के साथ 
सचिन्द्र की कृति 
यहाँ पर मैं कुछ बिहार के कलाकारों की भागीदारी की बात करना चाहूंगा। इस आर्ट फेयर में बिहार प्रदेश से कोई नया नाम निकालता नहीं दिख रहा है मूलतः उन्ही कलाकारों की कृतियाँ  शामिल  की गई है जो पिछले फेयर में दिखते रहे हैं। यह प्रदेश स्तर पर थोड़ी गंभीरता पैदा करती है। 
पूर्व की तरह इस आर्ट फेयर में भी सचिन्द्र नाथ झा, राजेश राम राम, सूरज कुमार काशी, अरुण पंडित, यू एस पाठक जैसे युवा कलाकार अपनी पकड़ बनाए हुए है, यह सुखद है।
अगर भारतीय कला बाजार को ध्यान में रखते हुए पूरे आर्ट फेयर पर निगाह डालें  तो कहा जा सकता है कि यह फेयर इस वर्ष गिरती कला बाजार को पुनर्जीवित करने का एक सार्थक प्रयास है जहाँ कला के लिए आवश्यक तत्वों को संजोए रखते हुए कला बाजार की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
भारतीय चक्षुस कला के इस सबसे बड़े कला आयोजन में चित्रकला, मूर्तिकला, विडिओ आर्ट, स्थापना कला, परफॉर्मेंस आर्ट के साथ-साथ  कला गोष्ठियों का भी आयोजन किया जाएगा। 
अरुण पंडित की मूर्ति         
पाठक की कृति 

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