छाल के पाउडर , लोबान, लोहबान, सूखी जड़ीबूटियों, और मसालों के सम्मिश्रण से उत्पन्न होने वाली खुशबू आगंतुकों को वशीभूत कर रही है।
कोच्चि,1 जनवरी : कला संस्कृति के विश्व महोत्सव "कोच्चि मुजरिस बिनाले " के प्रदर्शनी स्थलों में से एक पीपर हाउस में अपनी बेमिसाल कृतियों का प्रदर्शन कर रही बेनिथा परसियाल को अपनी एक कृति को लेकर एक दर्शक से अप्रत्यासित प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। हालांकि 108 दिन तक चलने वाले इस बिनाले में उनकी कृतियों को दर्शकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिल रही है लेकिन चेन्नई स्थित इस कलाकार को एक दर्शक से जो "सार्थक " प्रतिक्रिया मिली , वह चेन्नई के कलाकार के लिए खास तौर पर याद रहेगी।
Benitha Perciyal_The Fires of Faith at Pepper House |
एक पखवाड़े से थोड़े अधिक समय पूर्व समुद्र के सामने स्थित इस पौराणिक परिसर में आने वाले एक असंतुष्ट दर्शक से बेनिथा का सामना हुआ जिन्होंने बेनिथा से बिना हाथ वाली यीशु मसीह के चित्रण के बारे में जानकारी चाही। बेनिथा " द फायर्स ऑफ फेथ " शीर्षक वाली अपनी कृति के साथ हुए पूरे प्रकरण को याद करते हुए कहती है , " कला के सम्बन्ध में उनकी यह सबसे बेहतरीन बातचीत थी। "
36 वर्षीय कलाकार कहती हैं, ‘‘वह महिला इसलिये नाराज थी क्योंकि उनकी नजर मे जिस तरह से यीशु जीसस का चित्रित किया गया था वह प्रथा के खिलाफ जाता था। लेकिन मैंने उनसे पूछा कि किसने यह प्रथा बनायी। हमने इस बारे मे थोड़ी देर बातचीत की। आखिरकार वह मेरे तर्क संतुष्ट नजर आने लगी। आस्था भौतिकता के बारे मे नहीं होती है। (किसी कलाकृति मे यह लागू हाता है।) यह संवेदनशीलता के बारे मे है।’’
Benitha Perciyal_The Fires of Faith at Pepper House |
चेन्नई में रहने वाली इस कलाकार ने मद्रास कालेज आॅफ आर्ट्स एंड कल्चर से स्नातक किया। कोच्चि मुजिरिस बिनाले, 2014 मे बेनिथा की कृति कोच्चि के उपनगर मैट्टानचरी की पुरानी मूर्तियों की दुकानों से प्रेरित है। इन दुकानो में औपनिवेषिक काल की पुरानी मूर्तियाँ हैं, जिनमें से ज्यादातर ईसाई मूर्तियां हैं। वहां उन्होने एक गोदाम से अपने विशिष्ठ विवरण हासिल किये। इस गोदाम मे यीशु की दो आदमकद मूर्तियाँ हैं। इनमे से एक मूर्ति मे यीशु को फिगवुड गधे पर सवार दिखाया गया है। यहां यीशु की माँ मरियम को एक फिगवुड गधे पर सवार दिखाया गया है। यह अनके चीजो के अलावा ‘‘एक माँ के मिठास भरे सुगंध’’ तथा समर्थको को दर्शाने लिए किया गया।
बेनिथा कहती है, ‘‘मैं पुरानी चीजें ही इकट्ठा करती हूं। ये पुरानी चीजें मुझसे बातें करती हैं। मैट्टानचेरी की अपनी पूर्व की यात्रा के दौरान मैं पुरानी वस्तुओं की दुकानों का दौरा किया और वहाँ हमने ऐसी धार्मिक मुर्तियाँ देखी जिनमें हाथ एवं पैर नहीं थे। ये मूर्तियां दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आयी थी। इन्हें एक बार एक मंदिर में भी रखा गया था। अब ये मूर्तियाँ एक दुकान में थी। यह ऐसी बातें थी जिनके बारे में सोचने को विवश किया और इसलिये हमने आस्था के बारे में बात करने का फैसला किया। ’’
बेनिथा ने कोच्चि मुजिरिस बिनाले, 2014 में अपने प्रदर्शनी स्थल के बगल में स्थित एक कमरे में अपनी जमा की हुयी वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया है। बिनाले को जाने-माने कलाकार जितिश कलात ने क्यूरेट किया है।
यह पहला मौका नहीं है जब बेनिथा ने वैसी मूर्तियां बनाई हैं जिनमें कुछ चीजों की अनुपस्थिति कई लोगों को नागवार गुजर सकती है। इस कलाकार ने पहले एक पीएटा बनाया था जिसमें यीशु को मरियम के हाथों में नहीं दिखाया गया था। इसाई कलाकार कहती हैं, ‘‘यहां मौजूद रिक्तता अनुपस्थिति के दर्द को प्रदर्शित करती है।‘‘ बेनिथा अन्य धर्म को लेकर कोई चित्रण नहीं करती क्योंकि उनके अनुसार वह इन धर्मों के बारे में बहुत अधिक नहीं जानती हैं।’’
बेनिथा की मूर्तियां छाल पाउडर, लोबान, लोहबान, सूखी जड़ी बूटियों और मसालों जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करके बनायी गयी है। इसलिये 12 दिसंबर को शुरू हुये बिनाले के आरंभिक दिनों में, इन मूर्तियों से आने वाले सुगंध के कारण दर्शक डच शैली में बने पीपर हाउस के केन्द्रीय आंगन में खींचे चले आते थे जहां बेनिथा की मूर्तियां प्रदर्शित हैं। उनका मानना है कि उनकी कृतियों के केवल भौतिक स्वरूप नहीं बल्कि इससे अधिक है और ये मूर्तियां सरल भाषा के जरिये लोगों के साथ बातें करती हैं। वह कहती हैं कि ये मूर्तियां इंद्रियों को प्रभावित करती हैं।’’
Benitha Perciyal_The Fires of Faith at Pepper House |
इंसेंस की क्षणिकता तथा सतत परिवर्तन तथा पुनर्जन्म की इसकी क्षमता ने उन्हें वैसी मूर्तियां बनाने के लिये प्रेरित किया जिनकी खुशबू समय के साथ फीकी पड़ जायेगी और मूर्तियां स्थानीय वातावरण के अनुसार बदल जाऐंगी या बिखर जाऐंगी बेनिथा कहती हैं, ‘‘लेकिन आपके मन में इनकी यादें होंगी।’’
दूसरे कोच्चि मुजिरिस बिनाले में मुख्य विषय ‘‘व्होल्र्ड एक्सप्लोरेशन‘‘ के तहत 30 देशों के 94 कलाकारों की 100 मुख्य कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। यह इस साल 29 मार्च को सम्पन्न होने वाला है।
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