क्लिंटन की चुनिंदा कृतियां बिनाले में दर्शकों को आकर्षित कर रही है
कोच्चि, 16 जनवरी: विलक्षण प्रतिभा वाले बाल कलाकार एडमंड थॉमस क्लिंट की सूर्यास्त की पेंटिंग कोच्चि में चल रहे कोच्चि-मुजिरिस बिनाले (केएमबी) के दर्शकों को मोहित कर रही है। पीले, नारंगी एवं काले रंग के इस्तेमाल से बनायी गयी सूर्यास्त की पेंटिंग की दिलचस्प संदर्भ कहानी भी है जिससे आम लोग अनजान हैं। कम उम्र में ही दिवंगत हो जाने वाले केरल की कला प्रतिभा की चुनिंदा कृतियों की प्रदर्शनी कोच्चि - मुजिरिस बिनाले की प्रदर्शनी स्थलों में से एक - स्थल - मट्टाचेरी के काॅस्मोपोलिटन कल्ट में चल रही है जिसने आज एक महीना पूरा कर लिया। ऐतिहासिक यहूदी शहर को आम तौर पर पुरानी वस्तुओं की दुकानों के लिये जाना जाता है लेकिन नवनिर्मित कला दीर्घा कास्मोपोलिटन कल्ट में इस प्रदर्शनी को देखने के लिये दर्शक काफी तादाद में आ रहे हैं। 1993 में दिवंगत हो जाने वाले क्लिंट के करीबी रहे के जे आॅगस्टिन विलक्षण कलाकार के बारे में गर्व से बताते हैं। इस समय 79 वर्ष के हो चुके आॅगस्टिन के घर पर क्लिंट 1970 के दशक में हर सप्ताह आते थे। आॅगस्टिन बताते हैं कि वह क्लिंट को घुमाने के लिये ले जाते थे। क्लिंट का निधन सात वर्ष की उम्र पूरा करने से एक माह पहले ही हो गया था लेकिन 1983 में अपने निधन से पहले इस विलक्षण कलाकार ने 25 हजार से अधिक कृतियां बनायी थी। एक शनिवार शाम को, जब क्लिंट मुंडामवेली में आॅगस्टिन के घर में थे, तो वे पश्चिमी आकाश की तरफ खुलने वाली खिड़की से चुपचाप बाहर की ओर देख रहे थे। चार साल के लड़के का चुपचाप बैठकर लंबे समय तक प्रकृति को देखने के दृश्य ने मेजबान होस्टेस सरम्मा ऑगस्टिन का ध्यान आकर्शित किया। उन्होंने पूछा, ‘‘मेरे बच्चे? तुम क्या देख रहे हो?’’ जब क्लिंट ने जवाब दिया कि वह सूर्यास्त को देख रहे थे। तो सरम्मा ने थोड़ा मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘तो फिर तुम क्यों नहीं इसकी एक पेंटिंग बनाकर मुझे उपहार देते हो?
अगले सप्ताहांत में, क्लिंट एक कलाकृति के साथ ऑगस्टिन के घर आये। छोटी प्रतिभा ने पिछले सप्ताह के दृश्य को अधिक गरिमामय रूप में पेंटिंग में ढाल दिया था। यहां वेलिंगडन द्वीप पर केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी केन्द्रीय संस्थान में क्लिंट के पिता एम. टी. जोसेफ के साथ काम करने वाले आॅगस्टिन ने बताया। इस प्रकार क्लिंट के सबसे उत्कृष्ट कार्यों में से एक का जन्म हुआ। इस पेंटिंग में शाम के धुंधलके में सूर्य को फ्रेम के दाहिनी ओर बांस की झाडि़यों और नीचे घास के झाड़ी में डूबने के लिए तैयार दिखाया गया है। केएमबी’14 के बाल बिनाले के एक हिस्से के रूप में आयोजित 60 अन्य प्रदर्शनियों के साथ क्लिंट की प्रदर्शनी में प्रदर्शित उच्च गुणवत्ता वाली पेंटिंग के बारे में वरिष्ठ कलाकार बालन नांबियार कहते हैं, ‘‘यह इस उम्र के लिहाज से कोई साधारण काम नहीं है। एक बच्चे के द्वारा किसी पेंटिंग को यथार्थ रूप देना बहुत ही कठिन और दुर्लभ है। चार साल की उम्र में ऐसा करने वाला बच्चा अत्यंत प्रतिभाशाली होगा।’’ 70 वर्ष से अधिक उम्र वाले जोसेफ, क्लिंट की प्रतिभा की पहली बार पहचान करने वाले स्वर्गवासी सहयोगी जी. माधवन की भूमिका को आभार प्रकट करते हुए कहते हैं कि यह बच्चा जब मुश्किल से एक साल का रहा होगा, तो यह उनके पास ‘सूर्यास्त की पेंटिंग’ लेकर आया। ‘‘जब सरम्मा ने उपहार लिया, तो उन्होंने क्लिंट से एक शरारती प्रश्न पूछा: ‘मैं दुनिया को क्या बताउं कि यह मेरे बेटे का चित्र है। उसके बाद, लड़के ने पेंटिंग लौटने के लिए कहा। उन्होंने जल्दी ही इसे वापस कर दिया, लेकिन उन्होंने देखा कि पेंटिंग के एक कोने में ‘क्लिंट’ नाम लिखा हुआ था।’’ केएमबी के निदेशक रियास कोमू ने कहा कि उनकी टीम ने इस बात को सुनिश्चित करने के लिए काफी प्रयास किया कि प्रदर्शनी में प्रदर्शित प्रिंट तकनीकी रूप से असली से बेहतर लगे। श्री कोमू बाल बिनाले के मुख्य आयोजक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘छोटी सी जिंदगी में 25 हजार पेंटिंग बनाना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। इन पेंटिंग को पिछले तीन दशक से संग्रहित रखने के लिए लड़के के माता-पिता भी बधाई के पात्र हैं। इस शो का उद्देश्य अपने पैतृक राज्य केरल से काफी दूर कला जगत में क्लिंट की प्रतिभा का प्रचार करना है।’’ केएमबी’14 के कलात्मक क्यूरेटर जितिश कलात ने क्लिंट को एक ऐसा व्यक्ति बताया जिनके पास ‘एक बच्चे का दृष्टिकोण और एक सयाने व्यक्ति की दृष्टि’ थी।
108 दिवसीय समकालीन कला प्रदर्शनी का आयोजन करने वाले कोच्चि बिनाले फाउंडेशन के अध्यक्ष बोस कृष्णमाचारी ने कहा कि केएमबी’14 में प्रदर्शित क्लिंट की कुछ पेंटिग में यहां तक कि कुछ ग्रंथों की तीक्ष्णता भी है। उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, उस पेंटिंग को देखें। लड़के ने स्मार्ट दिखने वाली जिस मछली का स्केच बनाया है उसे ‘मिडुक्कन मीन’ शीर्षक दिया गया है।’’ क्लिंट की मां चिन्नमा जोसेफ कहती हैं कि वह लड़का जब दो साल का था तभी उसने मलयालम लिखना सीख लिया। उन्होंने कहा, ‘‘उसने शुरू में वर्णमाला के अक्षरों को ड्राइंग करना शुरू किया। और जल्द ही उसमें अपनी मातृभाषा और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पुस्तक पढ़ने की इच्छा विकसित हो गयी। एमबीए के छात्र विसाख आनंद ने कहा कि चिन्नम्मा, उनके पड़ोसी के रूप में उनके बचपन के दिनों में उनकी उम्र के लड़कों को नमूनों के रूप में क्लिंट की पेंटिंग देती थी। मुंबई में रहने वाले निपुण कलाकार कृष्णमाचारी, ने क्लिंट के एक स्केच की काफी तारीफ की जिसमें पौराणिक राजा रावण को भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण के हाथों अपने बेटे मेघनाथ की मौत की शाम को उदास मुद्रा में बैठे दिखाया गया है। कृष्णमाचारी कहते हैं, ‘‘इस पेंटिंग में रावण के पीछे तलवार रखी है। यह केवल श्रीलंका के राजा के निकट अंत का प्रतीक नहीं है; हथियार तस्वीर में संतुलन स्थापित कर रहा है। केवल एक निपुण व्यक्ति ही ऐसी पेंटिंग बना सकता है।’’ अपने शिक्षण कौशल के लिए भी प्रसिद्ध बालन नांबियर कहते हैं, ‘‘केएमबी’14 क्लिंट प्रदर्शनी में ऐसी पेंटिंग भी हैं जो इस उम्र के एक सामान्य लड़के की उम्मीद वाली कलात्मकता से मेल खाती है। फूल और गुलदस्ते इनके उदाहरण हैं।’’ श्रेष्ठता में उनसे विपरीत, ठेठ केरल हिंदू मंदिर के शिवालय की तरह प्रवेश द्वार के पीछे लाइन में खड़े सजे-धजे हाथियों के साथ एक भीड़ भरे मंदिर त्योहार की एक पेंटिंग है। कोच्चि में रहने वाले जोसेफ हामी भरते हुए कहते हैं, ‘‘जब हम क्लिंट को एर्नाकुलम मंदिर उत्सवम में लेकर आये, उसके बाद उसने यह पेंटिंग बनायी। इस पेंटिंग के लोगों को देखो - पुरुषों के बाल स्टेप - कट में हैं जो उन दिनों प्रचलन में था।’’ केएमबी प्रदर्शनी में क्लिंट के अन्य कार्यों में एक कलाकार के द्वारा ‘तिरा’ लोक नृत्य के प्रदर्शन के अलावा अव्यवस्थित आकाश में मोर और राज्य के स्वामित्व वाली विंटेज परिवहन बसें शामिल हैं।
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