हैदराबाद, 6 जनवरी: डिसेंट्रलाइज्ड कॉटन यार्न ट्रस्ट (डीसीवाईटी) को हैदराबाद स्थित सांस्कृतिक संगठन कलाकृति फाउंडेशन की ओर से वर्श 2014 के लिये उपलब्धि एवं उत्कृश्टता के लिये कलाकृति अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा। डिसेंट्रलाइज्ड कॉटन यार्न ट्रस्ट (डीसीवाईटी) एक स्वैच्छि़क संस्था है जो हथकरघा उद्योग द्वारा सामना किये जा रहे़ महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के लिए काम करती है। कृष्णाकृति फाउंडेशन के प्रमुख प्रशांत लाहोटी ने यह जानकारी देते हुये बताया कि कल (बुधवार, 7 जनवरी) से शुरू हो रहे पांच दिवसीय कृष्णाकृति कला और संस्कृति वार्षिक महोत्सव के उद्घाटन सत्र में डीसीवाईटी के प्रमुख उजराम्मा को यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। एक दशक से सक्रिय डीसीवाईटी प्रकृति के साथ - साथ स्थानीय संस्कृति और रीति-रिवाजों को पुनजीर्वित करने के लिए काम करती है। 2003 में स्थापित कृष्णाकृति फाउंडेशन के प्रमुख न्यासी और अधिकारी शाम 5 बजे बंजारा हिल्स में कलाकृति आर्ट गैलरी में समारोह में उपस्थित रहेंगे। इससे पूर्व यह पुरस्कार प्राप्त करने वालों में अभिनेता डॉ. शंकर मेलोकटे, क्रिकेटर वी. वी. एस. लक्ष्मण और चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. महेश जोशी शामिल हैं। खेतों में कपास से यार्न बनाने की प्रक्रिया के लिए स्थापित छोटे पैमाने की इकाइयों के नेटवर्क वाला 2005 में स्थापित डीसीवाईटी अपनी ‘‘मल्खा’’ पहल के लिए जाना जाता है जिसका उद्देश्य सामूहिक काम के माहौल में स्पिनरों, डायर्स, बुनकरों, किसानों और रूई ओटने वालों को शामिल करना है। इसका मिशन सामूहिक स्वामित्व में और उनके द्वारा प्रबंधित एक विकेन्द्रीकृत, टिकाऊ, फील्ड- टू - फैब्रिक सूती वस्त्र श्रृंखला उपलब्ध कराना है। उजराम्मा 1989 से ही भारत के सूती कपड़ा उद्योग से जुड़ी रही हैं। वह योजना आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा गठित हथकरघा उद्योग के लिए नीति समूहों की सदस्य रही हैं और उन्होंने कई व्याख्यान दिया है, संगोष्ठियां आयोजित की है और शिविरों का आयोजन किया है। श्री लाहोटी ने कहा कि मल्खा, मूल्यों और प्रथाओं के लिए समर्पित डीसीवाईटी ने कपड़े और वस्त्र की दुनिया में उल्लेखनीय मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह यह अमूल्य विरासत और एक अद्भुत परंपरा की रक्षा करने वाली एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरा है।’’ कृष्णाकृति महोत्सव के उद्घाटन सत्र में दो विद्वानों के द्वारा कला पर चर्चा भी की जाएगी। विश्व भारती के प्रोफेसर आर. शिव कुमार ‘रवीन्द्रनाथ टैगोर के साथ दुनिया का समझना’ पर व्याख्यान देंगे जबकि प्रोफेसर नवज्योति सिंह ‘कला के मूल को समझना’ पर एक शोध पत्र प्रस्तुत करेंगी।
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