मुंबई में 7 अप्रैल को होगी नीलामी
कोच्चि, 4 अप्रैल: भारत में अगले सप्ताह के प्रारंभ में कला की बड़ी नीलामी होने जा रही है। अंतरराष्ट्रीय रूप से ख्याति प्राप्त 40 भारतीय कलाकारों ने कोच्चि बिनाले फाउंडेशन (केबीएफ) के लिए धन राशि जुटाने के लिए 7 अप्रैल को मुबई में होने वाली नीलामी के लिए अपनी कलाकृतियां दान दी है। यह नीलामी कला की अब तक की सबसे बड़ी नीलामियों में से एक होगी।
यह नीलामी धन राशि जुटाने के लिए कोच्चि बिनाले फाउंडेशन के प्रयासों के तहत की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, नीलामी से प्राप्त धन राशि से बिनाले को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी और इससे संगठनात्मक बाधाओं को भी काफी हद तक दूर करने में मदद मिलेगी।
यह नीलामी, सैफ्रनआर्ट के सहयोग से 7 अप्रैल को आयोजित की जाएगी। नीलामी की शुरुआत 7 अप्रैल को मुम्बई के ताज लैंड एंड में शाम साढ़े छह बजे एक पूर्वावलोकन के साथ होगी, उसके बाद 7 बजे पंजीकरण होगा और उसके बाद लाइव नीलामी की जाएगी।
नीलामी की बोली में अधिक लोगों के भाग लेने के लिए, आयोजकों ने नीलामी को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। जो लोग नीलामी स्थल पर उपस्थित नहीं हो सकते हैं वे सैफ्रनआर्ट वेबसाइट या फोन के माध्यम से ऑनलाइन बोली लगा सकते हैं। ऑनलाइन नीलामी अभी http://www.saffronart.com/auctions/Kochi-Muziris-Biennale-Fundraiser-Auction-
2015-3742 पर खुली है और लाइव नीलामी पूरी हो जाने के बाद बंद होगी। आयोजकों ने यह भी कहा है कि खरीदारों को किसी भी कलाकृति पर कोई प्रीमियम नहीं दिया जाएगा।
कोच्चि बिनाले फाउंडेशन ने कोच्चि - मुजिरिस बिनाले के दो बहुप्रशंसित संस्करणों का सफलतापूर्वक आयोजन किया है जिसमें करीब 10 लाख दर्शकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। हालांकि फाउंडेशन को इसके लिए केरल सरकार से वित्तीय सहायता मिल रही है, लेकिन वित्तीय मदद में देर होने के कारण संगठन को बिनाले के आयोजन में समस्या आयी।
केबीएफ के संस्थापक - अध्यक्ष बोस कृष्णमाचारी ने कहा, ‘‘विभिन्न स्रोतों से वित्तीय मदद मिलने के बावजूद, बिनाले के आगामी संस्करणों के लिए पर्याप्त और समय पर धन हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।’’ उन्होंने कहा, भारत के पहले बिनाले को लंबे समय तक कायम रखने के लिए 40 कलाकारों ने धन जुटाने के लिए अपनी कलाकृतियों का उदारता पूर्वक दान दे दिया।’’
केबीएफ के सह संस्थापक और सचिव रियास कोमू ने कहा, ‘‘7 अप्रैल को होने वाली नीलामी स्वयं के द्वारा धन जुटाने की पहल है जहां कलाकार, कलाकारों की कल्पना और उनके दिशा निर्देष में क्यूरेट किये गये दुनिया के एकमात्र बिनाले को समर्थन देने के लिए एक साथ आए हैं।’’
मुम्बई में भी रहने वाले कोमू ने कहा, ‘‘इस पहल का फाउंडेशन के कार्यों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा और उससे बिनाले को कायम रखने में मदद मिलेगी।’’
7 अप्रैल को नीलामी में भाग लेने वाले कलाकारों में ए. रामचंद्रन, अबीर करमारकर, आदित्य पांडेय, अनीता दुबे, अंजू डोडिया, अर्पिता सिंह, अतुल डोडिया, बैजू पार्थन, ध्रुवी आचार्य, गीगी स्कारिया, गुलाम मोहम्मद शेख, हेमा उपाध्याय, सी. जी. कृष्णन, के. जी. सुब्रामण्यन, के. पी. रेजी, एल. एन. तल्लुर, मनीष नई, माधवी पारेख, मनीषा पारेख, मनु पारेख, मिथु सेन, नवजोत अल्ताफ, निखिल चोपड़ा, एन. एस. हर्षा, प्राजक्ता पलव, पी. एस. जलजा, एन. पुश्पमाला, रणबीर कलेका, रतीश टी., रीना सैनी कलात, रेखा रोडविट्टिया, रोहिणी देवाषर, सहेज राहल, सुधीर पटवर्धन, सुरेन्द्रन नायर, ठुकराल एवं टागरा, टी. वी. संतोष, वरूनिका सराफ,
विवान सुंदरम और विवेक विलासिनी शामिल हैं।
जवजोत अल्ताफ, जिनकी कलाकृति ‘मैरी वान्ट्स टू रीड ए बुक’ केएमबी’14 में शामिल थी, का मानना है कि बिनाले कलाकारों के द्वारा की गयी एक पहल है और इसलिए कलाकारों को लोगों के लाभ के लिए दुनिया भर के समकालीन कला को यहां लाने के लिए सामूहिक रूप से काम करना चाहिए।
नीलामी के लिए अपनी मूर्ति ‘सिरहा’ को दान करने वाले मुम्बई के कलाकार ने कहा, ‘‘मैं बिनाले जैसी गतिविधि का समर्थन करना चाहता हूं ताकि आने वाले वर्षों में भी यह जारी रहे। कोच्चि - मुजिरिस बिनाले के दोनों संस्करणों के आयोजन के लिए अस्थायी संरचनाओं का निर्माण करने की बजाय मौजूदा खाली जगहों का इस्तेमाल करने से मैं काफी प्रभावित हुआ क्योंकि अस्थायी निर्माण करने पर आयोजन के समाप्त होने के बाद वह निर्माण बेकार हो जाता। आयोजन में इन स्थानों के मालिकों और स्थानीय लोगों को शामिल करने का यह एक अच्छा तरीका है।’’
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