गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

जब पौराणिक पात्रों को मिला आधुनिक परिप्रेक्ष्य


दिल्ली प्रदर्शनी में यामिनी राॅय की कृतियों - रावण, मरियम, गणेश ने कला प्रेमियों को मोहित किया
नई दिल्ली, 25 फरवरी: प्रमुख आधुनिकतावादी चित्रकार यामिनी राॅय ने पिछली सदी में विभिन्न धर्मों के पौराणिक पात्रों की शान को आधुनिकता का रंग देकर चित्रित किया था और इन कृतियों को अब पहली बार जनता के लिए प्रदर्शित किया गया है जिन्हें कला प्रेमी विशेष जिज्ञासा के साथ देख रहे हैं।
Mary gouache on mountboard 25''X 15''
इस समय राजधानी के धूमिमल आर्ट गैलरी में प्रदर्शित ये कलाकृतियां इतनी आकर्शक हैं कि कला प्रेमियों के लिए ये आकर्शण के केन्द्र बने हुए हैं। विद्वानों के अनुसार इन कलाकृतियों को हिंदू धर्म और ईसाई धर्म की आस्थाओं से परे आधुनिकतावादी भारतीय चित्रों का रूप प्रदान किया गया है।
पांच सप्ताह तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में 20 वीं सदी के प्रमुख चित्रकार (1887 -1972) की 80 से अधिक उत्कृष्ट ड्राईंगों और पेंटिंग को प्रदर्शित किया गया है जिसमें कृष्ण और रामायण के दृष्यों के अलावा गणेश, दुर्गा और यहां तक कि बाइबिल के विषयों के पुराने पात्रों के चित्र भी शामिल हैं।
10 मार्च को समाप्त होने वाले ‘काव्र्ड कांटर्स’ नामक इस प्रदर्षनी की क्यूरेटर उमा नायर ने कहा, ‘‘जेमिनी रॉय ईसा मसीह के जीवन से भी प्रभावित थे। सूली पर चढ़ायी गयी मरियम की कलाकृति उनकी डिजाइन की वास्तविक क्षमता का दर्शाता है। इसी तरह बच्चे के साथ नारंगी-टोंड मरियम की कलाकृति इसकी प्राच्य आभा को दर्शाती है। उनके नंगे पैर और बच्चे को गोद में ली हुई उनकी मुद्रा यामिनी के पौराणिक पात्रों के बारे में काफी कुछ कहती है।’’
'Ramayana', tempera on cardboard,15 x 22 in
आठ दशक पुराने धूमिमल आर्ट गैलरी के संस्थापकों के निजी संग्रह से यामिनी की कलाकृतियों का चयन करने वाले विद्वान - लेखक नायर ने कहा कि यह लोक-डिजाइन शैली और रॉय की विशिष्टता बताने वाले विषय के बीच एक कंट्रास्ट है। यूरोपीय दृश्य सौंदर्यशास्त्र से हमेशा दूरी रखने वाले गुरु ने आधी सदी पहले भारत के सबसे पुराने गैलरी के मालिक उमा, रवि और जैन बाबू स्टेट को उनकी कुछ कलाकृतियां उपहार में दी थी। इसी गैलरी में अभी प्रदर्शित पेंटिंग और ड्राईंग राजधानी के निकट और काफी दूर से कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
नायर का कहना है कि बाइजेंटाइन मोजेक डिजाइन के प्रति जेमिनी राॅय के लगाव के साथ मेल खाता है। यहां तक कि इसने उन्हें उतनी ही दक्षता और आनंद के साथ प्रभाववाद और प्रभाववाद के बाद की शैलियों को चित्रित करने से नहीं रोका। बंगाल शैली तक ही सीमित नहीं रहने वाले अबनिन्द्रनाथ के शिष्य जेमिनी राॅय के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘इसने साड़ी पहनी महिलाओं के बारे में उनकी अनूठी अवधारणा को और बढ़ा दिया। उदाहरण के लिए, रिबन की बार्डर वाली क्रीम रंग की साड़ी में महिला में छिपी हुई सुंदरता दिखाई देती है।’’
Untitled (Taraka Vadha)tempera on cloth 18''X 44''
जेमिनी राॅय ने रामायण के पात्रों में से एक पात्र रावण को अलग तरह से चित्रित किया था। राॅय ने लंका के राजा के 10 सिरों का विकर्ण लाइन दिखाया। श्री नायर कहते हैं, ‘‘यह कृति जेमिनी राॅय की प्रतिभा को प्रभावशाली तरीके से उजागर करती है जिसमें चित्रकार ने आदिवासी परंपराओं के तत्वों को शामिल किया है।’’ श्री नायर कहते हैं, ‘‘इस कृति में स्वदेशी लोक परम्परा तथा अंतर्राश्ट्रीय आधुनिकतावाद को समेटा गया है।’’
क्युरेटर कहती हैं, यामिनी राॅय की कृतियों का स्रोत कलाकार के बचपन का गांव बंगाल का बांकुरा गांव है जहां उन्होंने बुनकरों, कुम्हारों और मिट्टी जोतने वालों की कृषकों एवं उनके कामों को निकटता से देखा। इसके अलावा रहस्यमय बाउल गायकों तथा स्वदेषी संथाल आदिवासियों के कामों को भी देखा। वह कहती हैं, ‘‘ये कृतियां राय के प्रक्षेपवक्र तक पहुंचने में मदद करती हैं। हम देखते हैं कि इसमें बांकुरा मंदिरों पर किए गये टेराकोटा कार्य की भी झलक है जहां पौराणिक कथाएं एवं महाकाव्यों की कहानियां श्रृंखलाबद्ध पैनलों और ब्लॉकों में खुदी हुई है।‘‘
tempera on cloth, 32 x 18 in
इस प्रकार, यामिनी राॅय का कलात्मक सृजन दुपट्टे के साथ साड़ी का भी उत्स है। नायर ने कहा, ‘‘उन्होंने स्पष्ट लाइन दी जिनमें गीतात्मक सौंदर्य निहित है। इसमें दुपट्टे को जिस संवेदनशील कामुक तरीके से लिपटा दिखाया गया है वे देह की आकृतियों को उभारते हैं।’’
वरिष्ठ विद्वान उमा जैन का कहना है, ‘‘पेंटिंग और ड्राइंग में वे चीजें हैं जिन्हें हर कला संग्राहक संग्रह करना चाहेंगे। ये कृतियां बिल्कुल सही हालत में हैं।  इनमें दुर्लभ वस्तु की विशेषताएं और विस्तृत परिप्रेक्ष्य है।’’
यामिनी राॅय की कृतियों में चित्रात्मक महिला पात्र अभिन्न अंग हैं। वह नीले, काले रंग के बारे में कहती है और ये प्रकाश, अम्ल और क्षार से बहुत हद तक अप्रभावित हैं। वह कहती हैं, ‘‘इसमें क्रीम साड़ी पहने एक महिला एवं बच्चे का भी एक चित्र है। आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर इसे एक मूर्ति के रूप में ढाला जाए तो यह कैसा प्रतीत होगा। यह रंग, समोच्च प्रकाश और स्थान का एक संश्लेषण है।