बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

Design Kerala: Global experts to converge in Kochi for mega Design Festival

 5,000 delegates to attend the Dec 12-14 summit for Design ecosystem

Kochi, Oct 15:  Eyeing long-term development, Kerala will host a major Design Festival in December to discuss the global trends in design and architecture so as to employ them in the state’s sustained efforts to rebuild  nfrastructure.

The December 12-14 Kochi Design Week (KDW) will strive for the creation of a sustainable ecosystem through innovative design enabled by visionary thinking and technology, organisers said today. The inaugural day will focus on design, while architecture will be the chief subject for the second and third days.

The Department of Information Technology under the Kerala government in association with Asset Foundation is hosting the three-day event at Bolgatty Palace. Registrations are to begin this month.

Billed as India’s largest annual international festival of its kind, the event gives creative minds a platform to meet and brainstorm on new facets in design and architecture.

The meet, now into its second edition, will witness the assemblage of more than 5,000 design professionals, architects, interior designers, thought leaders, policymakers and government officials besides the general public. Curated by leading experts, KDW will chiefly hold sessions on design and architecture, exhibitions and installations.

Featuring speakers of international repute in design, architecture and city planning, the event will also be addressed by Kerala Chief Minister Mr Pinarayi Vijayan.
The highlights of the KDW 2019 will be the charting of an exclusive ‘Design Island’ for the hosting of the annual event and setting up of design installations across Kochi’s high-visibility areas, besides laying special tracks for design architecture and interior designs.
“We need to give the concept of sustainable design its deserving focus in various domains such as technology, urban planning and architecture,” points out Mr Arun Balachandran, Chief Minister’s Fellow (IT), Government of Kerala who is the special officer for Kochi Design Week project. “The huge success of the first edition of KDW has made everyone realise the criticality of the role ‘design’ plays in transforming our cities and societies into sustainable ecosystems of the future.”
The KDW 2018 had showcased technology options of use in any rebuilding phase as installations for various stakeholders to experience them. Ideas that emerged out of that edition were distributed to relevant departments for their reference.

कथाकार— दिलचस्प क​हानियों के कथावाचन उत्सव का रंगारंग समापन

नई दिल्ली, 14 अक्तूबर। हुमायूं मकबरे के भव्य परिसर में सितारों भरे आकाश के तले रविवार की रात को कथावाचन उत्सव का रंगारंग समापन हो गया। तीन दिवसीय कथाकार 2019 उत्सव में जुटे दुनियाभर के कथाकारों ने दिलचस्प अंदाज में कई बेहतरीन कहानियां सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में बड़ी संख्या में बच्चों के अलावा करीब 1,200 श्रोताओं की मौजूदगी रही जो गुलाबी सर्दी की संध्या को कुछ और मजेदार कहानियां सुने बिने वहां से जाने का नाम नहीं ले रहे थे।
Amrita Tripathi in conversation with Manish Sisodia, Delhi Deputy Chief Minister; Imtiaz Ali, film director, producer and writer; Mohit Chauhan; playback singer; Danish Hussain; actor and storyteller;  and Shaguna Gahilote; Co-Founder of Kathakar Festival 

यहां पहुंचे मेहमानों और भागीदारों में मोहित चौहान, इम्तियाज अली, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, ​रीतेश नंदा, सुशीला देवी के अलावा रश्मि मान और रुचिता ताहिलियानी जैसे मॉडलों ने कार्यक्रम की भव्यता में चार चांद लगा दिए। इन सबमें फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली ने अपने जादुई अंदाज में कहानी सुनाकर एक बार फिर श्रोताओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 'लव आजकल' और 'रॉकस्टार' जैसी सुपरहिट फिल्में देने वाले अली ने बड़ी विनम्रता से बताया, 'पात्रों का अनुकरण करते हुए कहानियां सुनाने वाला ही अच्छा कथावाचक हो सकता है।'

वर्ष 2010 में शुरू हुआ 'कथाकार—अंतरराष्ट्रीय कथावाचन महोत्सव' कहानियां सुनाने की प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने का एक गंभीर प्रयास है। इस फिनाले में भारतीय प्रस्तोता दानिश हुसैन ने भी अपनी जड़ों से जुड़ीं कहानियां सुनाकर भीड़ को अपनी ओर आकर्षित किया। पुरस्कार विजेता इस अभिनेता, कवि और रंगमंच निर्देशक ने उर्दू जुबान में कहानियां सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। हुसैन उर्दू कथावाचन की विलुप्त होती कला दास्तानगोई को पुनर्जीवित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। हुसैन ने हबीब तनवीर, एमएस सत्यु, राजिंदर नाथ और सबीना मेहता जेटली जैसी महान सृजनशील और साहित्यिक हस्तियों से यह कला सीखी है।
Qissebazi  Harayanvi folktales by Rashmi Mann and Ruchita Tahilini

कार्यक्रम में अदाओं के साथ कहानियां सुनाने में माहिर एमिली हेनेसी (पूर्ववर्ती नाम एमिली पैरिश) ने हिंदू महाकाव्य रामायण से लेकर अफ्रीका की अनांसी कहानियों समेत दुनियाभर की दंतकथाओं, महागाथाओं, महाकाव्यों, लोककथाओं और परिकथाओं का दिलचस्प वर्णन किया। स्वीडिश पृष्ठभूमि से होने के कारण वह स्कैंडिनेवियन लोककथाएं और नार्वेजियन गाथाएं सुनाना भी पसंद करती हैं। उन्होंने अपनी शैली में महाभारत के पात्र शिखंडी की कथा सुनाई कि कैसे कुरुक्षेत्र के युद्ध में उसने पांडवों का साथ दिया और अंबा से शादी का प्रस्ताव ठुकरा चुके भीष्म से अपने पुनर्जन्म का बदला लिया।
Folktales from Europe by Vergine Gulbenkian

किस्सेबाजी के एक अन्य दौर में दो उभरते भारतीय मॉडलों ने भी ठेठ हरियाणवी शैली में कहानियां सुनाईं। ब्रिटेन की वर्जिन गल्बेंकियन ने तीन राजकुमारों से जुड़ी यूरोप की एक लोककथा सुनाई। अमेरिकी मूल की वर्जिन कार्डियोवैस्कुलर थेरापिस्ट भी हैं। वहीं, जर्जी सजुफा ने पोलैंड की लोककथाओं से जुड़ी 'स्टेपाहनोव लुहार' की कहानी सुनाई। उनके लिए परियों और योद्धाओं की कहानियां सुनाने की कला ही उनका जुनून है।

कथाकार उत्सव में ऑस्ट्रेलिआ  के रॉन मरे एक बार फिर 25,000 साल से भी पुराने वाद्ययंत्र डिजरिडू के साथ मंच पर आए और कूकाबूरा जैसे ऑस्ट्रेलियाई जानवरों की नकल उतारते हुए यह यंत्र बजाकर श्रोताओं को अभिभूत किया। समापन समारोह में शिरकत कर रहे मनीष सिसोदिया ने कहा कि सुनाई गईं सभी कहानियां शिक्षाप्रद हैं। इनमें से कुछ पौराणिक कहानियों का मूल्य आज खत्म होता जा रहा है। मसलन, राजा हरिश्चंद्र की कहानी में सत्य पर अडिग रहने की नसीहत मिलती है लेकिन आज सत्यवादी को राजा हरिश्चंद्र कहकर उनका
उपहास किया जाता है। उन्होंने कहा कि कथावाचन की परंपरा को स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए। समारोह के मुख्य संरक्षक मोहित चौहान और संरक्षक सुशीला देवी ने सभी भागीदारों को सम्मानित किया।
Tales from Mahabharat by Emily Hennessey

कथाकार इस समारोह के समर्थक और स्थान भागीदारों के तौर पर एचएचएसीएच (हिमालयन हब फॉर आर्ट, कल्चर एंड हेरिटेज), बाबाजी म्यूजिक तथा आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर के साथ गठित किया गया एक  सांस्कृतिक मंच है। इस उत्सव की परिकल्पना तीन बहनों— रचना, प्रार्थना और शगुना गहलोत ने की और भारत के पहले ब्रेल एडिटर और उत्साही पाठक ठाकुर विष्णु नारायण सिंह की याद में यूनेस्को के कार्यक्रम घुमक्कड़ नारायण के तहत वर्ष 2010 में यह कार्यक्रम शुरू किया गया।

रविवार, 13 अक्तूबर 2019

कथाकार 2019: कथावाचन समारोह को श्रोताओं की मिली जबर्दस्त सराहना

नई दिल्ली, 12 अक्तूबर। विलुप्त होती जा रही कथावाचन की सदियों पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू की गई शानदार मुहिम की राष्ट्रीय राजधानी के लोगों ने जमकर सराहना की। भारत के एकमात्र और लगातार लोकप्रिय होते जा रहे सालाना कथावाचन समारोह कथाकार 2019 के तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारत और विश्व के अन्य हिस्सों से आए पेशेवर और जुनूनी कथावाचकों ने दिलचस्प अंदाज में कहानियां सुनाईं। 
The sacred and rhythmic chants of Grammy
Award-winning Buddhist monks of Sherab Ling Monastery

अब 12वें साल में प्रवेश कर चुका कथाकार हुमायूं मकबरा परिसर की सुंदर नर्सरी में आयोजित किया गया। शुक्रवार की शाम कथावाचकों ने अपनी कला से यह साबित कर दिखाया कि दुनिया के सभी महाद्वीपों और संस्कृतियों में कथावाचन की परंपरा एक जैसी ही है। हवा में सर्दी की आहट का अहसास देने वाले इस मौसम में यह कार्यक्रम ग्रैमी पुरस्कार विजेता बौद्ध भिक्षुओं के एक सुर में मंत्रमुग्ध कर देने वाले मंत्रोच्चार से शुरू हुआ। हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के पास क्योरी जिला के पॉलोंग शेराब्लिंग मठ के ये सभी बौद्ध भिक्षु गेरुआ रंग के परिधान में थे। यह मठ करमा काग्यू पंथ के प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु ताई सितु रिंपोछे की गद्दी है और मंत्रोच्चार की उनकी यह पुरानी परंपरा 7वीं सदी से चली आ रही है।
Kiren Rijiju, Minister of State for Youth
Affairs and Sports inaugurating Kathakar 2019

एक बौद्ध भिक्षु ने कहा, 'पवित्र मंत्रोच्चार की यह परंपरा मठों से शुरू हुई मंत्रोच्चारण परंपरा के कारण आज भी बची हुई है।' मंत्रोच्चारण के रूप में ये प्रार्थनाएं शेराब्लिंग मठ में प्रतिदिन सुबह और शाम को आयोजित होती हैं। शाम का कार्यक्रम समारोह के सहयोगी एवं स्थान भागीदारों के तौर पर एचएचएसीएच (हिमालयन हब फॉर आर्ट, कल्चर एंड हेरिटेज), बाबाजी म्यूजिक और आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर से बने सांस्कृतिक मंच निवेश द्वारा आयोजित कथावाचन की प्राचीन विरासत के साथ शुरू हुआ। विविधापूर्ण संस्कृतियों की कथावाचन परंपराओं के गूढ़ रहस्यों को सुलझाने को प्रयासरत यह समारोह तीन बहनों— रचना, प्रार्थना और शगुना गहलोत की परिकल्पना है। इसका आगाज 2010 में भारत के पहले ब्रेल एडिटर और उत्सुक पाठक तथा साहित्यकार ठाकुर विश्व नारायण सिंह की याद में शुरू किए गए घुमक्कड़ नारायण कार्यक्रम के तहत यूनेस्को के निर्देशन में किया गया था।
Australian stories by Aboriginal Elders
Uncle Larry Walsh and Ron Murray

2019 के समारोह का औपचारिक उद्घाटन केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री श्री किरेन रिजिजू, मशहूर अभिनेता, पद्मश्री और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मनोज बाजपेयी तथा समारोह के संरक्षक तथा गायक—पटकथा लेखक—गीतकार मोहित चौहान ने किया। 

दिल्ली के इस कलाकार का राजधानी के प्रति गहरा लगाव है लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि बहुत सारी ऐतिहासिक निशानियां अब विलुप्त होने लगी हैं। प्रार्थना गहलोत की अध्यक्षता में आयोजित इस समरोह में विशुद्ध हिंदी में उन्होंने कहा कि दिल्ली एक महान शहर है और दरवाजों के रूप में आज भी इसके कई हिस्से इतिहास बयां कर रहे हैं। खासकर, दिल्ली गेट कई ऐतिहासिक बदलावों का गवाह रहा है।
 Didgeridoo musician Ron Murray playing the long,
uneven wooden instrument as a tradition of welcome

बाजपेयी ने कहा, 'आज इस गेट के ऐतिहासिक महत्व को महसूस किए बिना लोग इधर से बड़े निर्लिप्त भाव से गुजर जाते हैं। कहानियां सुनाकर बताने की ये कथावाचन परंपराएं इस विरासत और समृद्ध परंपरा को जिंदा रखने में मदद करेंगी।' केंद्रीय युवा मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कथाएं सुनाने की समृद्ध परंपरा का बखान किया। उन्होंने कहा कि गजेट संस्कृति वाली आधुनिक जीवनशैली ने इस मौखिक परंपरा की पहुंच को नुकसान पहुंचाया है लेकिन अब लगता है कि कहानियां सुनाने की यह पुरानी कला विधा एक बार फिर पुनर्जीवित हो रही है, जिसे इस समारोह में विशेष अंदाज में पेश किया जा रहा है।
Emiliy Hennessy narrating ‘Kali,
The story of the World's Wildest Goddess”
from the ancient India

समारोह में श्रोताओं के तौर पर 800 से अधिक हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह, दिल्ली के विधायक सौरभ भारद्वाज, सूरीनाम एवं मंगोलिया के राजदूत भी शामिल थे।

उद्घाटन दिवस पर ऑस्ट्रेलिया के अंकल लैरी वाल्श ने भी अपनी वाक—क्षमता से दर्शकों को बांधे रखा। ऑस्ट्रेलिया के ताउरागुरोंग आदिवासी के सदस्य और इस दिग्गज कथावाचक ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि कथावाचन आदिवासी संस्कृति की एक महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति और सेवा है।

उन्होंने कहा, 'मैं समाजों खासकर आदिवासियों को मजबूत बनाना चाहता हूं। आदिवासी समूह के लोगों को भी आधुनिक विश्व में उतना ही सशक्त होना चाहिए, जितना कि अतीत में वे समाज से जुड़े हुए थे।' 

खुद को  'सांस्कृतिक शिक्षाविद' बताने वाले स्कॉटिश मूल के आदिवासी रॉन मूरे ने अपने वाद्ययंत्र डिजरिडू के साथ कथावाचन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने बताया कि आदिवासी कैसे जीवनयापन करते थे और आज भी कैसे अपनी परंपराओं को जिंदा रखे हुए हैं।
Kissey Kahani aur Adakaari_Prathana Gahilote i
n conversation with Manoj Bajpayee

पोलैंड की कथावाचक एमिलिया रेटर ने बीन बजाते हुए अपने देश के गीतों का गायन कर कथा सुनाई। वह कथावाचन का अस्तित्व बने रहने को लेकर आशावान हैं और कहती हैं, 'लोग कथाएं सुनाना पसंद करते हैं।' भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रभावित केंट यूनिवर्सिटी की एमिली पैरिश मां काली के विभिन्न अवतारों की पूजा करने की परंपरा से चकित थीं। उन्होंने मां काली से जुड़ी रक्तबीज की कथा सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। जैसे—जैसे रात होने लगी, बच्चों समेत श्रोताओं की उत्साही भीड़ उमड़ने लगी। इससे साबित हो गया कि यहां जो कथाएं सुनाई गईं, वे पहले भी कई जगह और कई बार प्रकाशित हो चुकी हैं, लेकिन आज भी इनके वाचन की शैली ज्यादा प्रासंगिक बनी हुई है और शब्द लेखन से इसके जादू को बयां करना संभव नहीं है। कथावाचन न सिर्फ आपको सबक सिखाता है या मनोरंजन करता है, बल्कि यह आपके लिए उम्मीद की एक किरण भी जगाता है।