रविवार, 13 अक्तूबर 2019

कथाकार 2019: कथावाचन समारोह को श्रोताओं की मिली जबर्दस्त सराहना

नई दिल्ली, 12 अक्तूबर। विलुप्त होती जा रही कथावाचन की सदियों पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू की गई शानदार मुहिम की राष्ट्रीय राजधानी के लोगों ने जमकर सराहना की। भारत के एकमात्र और लगातार लोकप्रिय होते जा रहे सालाना कथावाचन समारोह कथाकार 2019 के तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारत और विश्व के अन्य हिस्सों से आए पेशेवर और जुनूनी कथावाचकों ने दिलचस्प अंदाज में कहानियां सुनाईं। 
The sacred and rhythmic chants of Grammy
Award-winning Buddhist monks of Sherab Ling Monastery

अब 12वें साल में प्रवेश कर चुका कथाकार हुमायूं मकबरा परिसर की सुंदर नर्सरी में आयोजित किया गया। शुक्रवार की शाम कथावाचकों ने अपनी कला से यह साबित कर दिखाया कि दुनिया के सभी महाद्वीपों और संस्कृतियों में कथावाचन की परंपरा एक जैसी ही है। हवा में सर्दी की आहट का अहसास देने वाले इस मौसम में यह कार्यक्रम ग्रैमी पुरस्कार विजेता बौद्ध भिक्षुओं के एक सुर में मंत्रमुग्ध कर देने वाले मंत्रोच्चार से शुरू हुआ। हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के पास क्योरी जिला के पॉलोंग शेराब्लिंग मठ के ये सभी बौद्ध भिक्षु गेरुआ रंग के परिधान में थे। यह मठ करमा काग्यू पंथ के प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु ताई सितु रिंपोछे की गद्दी है और मंत्रोच्चार की उनकी यह पुरानी परंपरा 7वीं सदी से चली आ रही है।
Kiren Rijiju, Minister of State for Youth
Affairs and Sports inaugurating Kathakar 2019

एक बौद्ध भिक्षु ने कहा, 'पवित्र मंत्रोच्चार की यह परंपरा मठों से शुरू हुई मंत्रोच्चारण परंपरा के कारण आज भी बची हुई है।' मंत्रोच्चारण के रूप में ये प्रार्थनाएं शेराब्लिंग मठ में प्रतिदिन सुबह और शाम को आयोजित होती हैं। शाम का कार्यक्रम समारोह के सहयोगी एवं स्थान भागीदारों के तौर पर एचएचएसीएच (हिमालयन हब फॉर आर्ट, कल्चर एंड हेरिटेज), बाबाजी म्यूजिक और आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर से बने सांस्कृतिक मंच निवेश द्वारा आयोजित कथावाचन की प्राचीन विरासत के साथ शुरू हुआ। विविधापूर्ण संस्कृतियों की कथावाचन परंपराओं के गूढ़ रहस्यों को सुलझाने को प्रयासरत यह समारोह तीन बहनों— रचना, प्रार्थना और शगुना गहलोत की परिकल्पना है। इसका आगाज 2010 में भारत के पहले ब्रेल एडिटर और उत्सुक पाठक तथा साहित्यकार ठाकुर विश्व नारायण सिंह की याद में शुरू किए गए घुमक्कड़ नारायण कार्यक्रम के तहत यूनेस्को के निर्देशन में किया गया था।
Australian stories by Aboriginal Elders
Uncle Larry Walsh and Ron Murray

2019 के समारोह का औपचारिक उद्घाटन केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री श्री किरेन रिजिजू, मशहूर अभिनेता, पद्मश्री और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मनोज बाजपेयी तथा समारोह के संरक्षक तथा गायक—पटकथा लेखक—गीतकार मोहित चौहान ने किया। 

दिल्ली के इस कलाकार का राजधानी के प्रति गहरा लगाव है लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि बहुत सारी ऐतिहासिक निशानियां अब विलुप्त होने लगी हैं। प्रार्थना गहलोत की अध्यक्षता में आयोजित इस समरोह में विशुद्ध हिंदी में उन्होंने कहा कि दिल्ली एक महान शहर है और दरवाजों के रूप में आज भी इसके कई हिस्से इतिहास बयां कर रहे हैं। खासकर, दिल्ली गेट कई ऐतिहासिक बदलावों का गवाह रहा है।
 Didgeridoo musician Ron Murray playing the long,
uneven wooden instrument as a tradition of welcome

बाजपेयी ने कहा, 'आज इस गेट के ऐतिहासिक महत्व को महसूस किए बिना लोग इधर से बड़े निर्लिप्त भाव से गुजर जाते हैं। कहानियां सुनाकर बताने की ये कथावाचन परंपराएं इस विरासत और समृद्ध परंपरा को जिंदा रखने में मदद करेंगी।' केंद्रीय युवा मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कथाएं सुनाने की समृद्ध परंपरा का बखान किया। उन्होंने कहा कि गजेट संस्कृति वाली आधुनिक जीवनशैली ने इस मौखिक परंपरा की पहुंच को नुकसान पहुंचाया है लेकिन अब लगता है कि कहानियां सुनाने की यह पुरानी कला विधा एक बार फिर पुनर्जीवित हो रही है, जिसे इस समारोह में विशेष अंदाज में पेश किया जा रहा है।
Emiliy Hennessy narrating ‘Kali,
The story of the World's Wildest Goddess”
from the ancient India

समारोह में श्रोताओं के तौर पर 800 से अधिक हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह, दिल्ली के विधायक सौरभ भारद्वाज, सूरीनाम एवं मंगोलिया के राजदूत भी शामिल थे।

उद्घाटन दिवस पर ऑस्ट्रेलिया के अंकल लैरी वाल्श ने भी अपनी वाक—क्षमता से दर्शकों को बांधे रखा। ऑस्ट्रेलिया के ताउरागुरोंग आदिवासी के सदस्य और इस दिग्गज कथावाचक ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि कथावाचन आदिवासी संस्कृति की एक महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति और सेवा है।

उन्होंने कहा, 'मैं समाजों खासकर आदिवासियों को मजबूत बनाना चाहता हूं। आदिवासी समूह के लोगों को भी आधुनिक विश्व में उतना ही सशक्त होना चाहिए, जितना कि अतीत में वे समाज से जुड़े हुए थे।' 

खुद को  'सांस्कृतिक शिक्षाविद' बताने वाले स्कॉटिश मूल के आदिवासी रॉन मूरे ने अपने वाद्ययंत्र डिजरिडू के साथ कथावाचन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने बताया कि आदिवासी कैसे जीवनयापन करते थे और आज भी कैसे अपनी परंपराओं को जिंदा रखे हुए हैं।
Kissey Kahani aur Adakaari_Prathana Gahilote i
n conversation with Manoj Bajpayee

पोलैंड की कथावाचक एमिलिया रेटर ने बीन बजाते हुए अपने देश के गीतों का गायन कर कथा सुनाई। वह कथावाचन का अस्तित्व बने रहने को लेकर आशावान हैं और कहती हैं, 'लोग कथाएं सुनाना पसंद करते हैं।' भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रभावित केंट यूनिवर्सिटी की एमिली पैरिश मां काली के विभिन्न अवतारों की पूजा करने की परंपरा से चकित थीं। उन्होंने मां काली से जुड़ी रक्तबीज की कथा सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। जैसे—जैसे रात होने लगी, बच्चों समेत श्रोताओं की उत्साही भीड़ उमड़ने लगी। इससे साबित हो गया कि यहां जो कथाएं सुनाई गईं, वे पहले भी कई जगह और कई बार प्रकाशित हो चुकी हैं, लेकिन आज भी इनके वाचन की शैली ज्यादा प्रासंगिक बनी हुई है और शब्द लेखन से इसके जादू को बयां करना संभव नहीं है। कथावाचन न सिर्फ आपको सबक सिखाता है या मनोरंजन करता है, बल्कि यह आपके लिए उम्मीद की एक किरण भी जगाता है।

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