शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

बिनाले में सबसे कम उम्र के कलाकार के द्वारा ईंट की दीवार पर बनायी गयी लोककथाओं पर आधारित कलाकृतियां दर्शकों के आकर्शण का केन्द्र होंगी


सी. उन्नीकृष्णन का शीर्षकहीन इंस्टालेशन अगले महीने से शुरू होने वाले शारजाह बिनाले का मुख्य आकर्षण होगा
कोच्चि, 20 फरवरी: उन्होंने स्वयं ही ईंटों को पेंट कर उन पर कलाकृतियां बनायीं। उनका इरादा ईंट की दीवार पर कलाकृतियां बनाकर गैर पारंपरिक तरीके से सौंदर्य को प्रदर्शित करना और उसमें छिपे संदेशों को आम लोगों तक पहुंचाना है।
सी. उन्नीकृष्णन
उनका इरादा चाहे कुछ भी हो, लेकिन कोच्चि- मुजिरिस बिनाले (केएमबी) में सी. उन्नीकृष्णन की कलाकृतियों ने उन परम्परागत अवधारणा को खारिज कर दिया है कि आग में पकायी गयी मिट्टी की वस्तुएं निराशा पैदा करने वाली और एकांत में रखी जाने वाली वस्तु है। इस कलाकार ने बहुत ज्यादा अनुभव हासिल नहीं किया है। वह यहां चल चल रहे केएमबी’14 में सबसे कम उम्र का कलाकार है। उनके द्वारा दीवारों पर बनायी गयी छोटी- छोटी तस्वीरें अलग- अलग कहानियां सुनाती है जिसे दर्शक किसी भी चीज से जोड़ सकते हैं और विभिन्न प्रकार से उनका आनंद ले सकते हैं।
भारतीय कला जगत में इस कलाकार का गर्मजोशी से स्वागत किया गया है। इस 23 वर्षीय कलाकार के लिए इससे भी अधिक अच्छी खबर यह है कि उनकी कलाकृतियों का चयन अब 12 वें शारजाह बिनाले के लिए किया गया है। खाड़ी अमीरात में 25 मार्च सेे शुरू होने वाले तीन महीने की प्रदर्शनी की क्यूरेटर इयुगी जू ने हाल ही में अपने सहयोगियों के साथ कोच्चि का दौरा किया और वह इससे खासा प्रभावित हुईं।
कोच्चि बिनाले फाउंडेशन के अध्यक्ष बोस कृष्णमाचारी और केएमबी’14 के क्यूरेटर जितिश कलात ने जब पिछले साल सी. उन्नीकृष्णन की कलाकृतियों को देखा तो उस समय वह त्रिशूर काॅलेज आॅफ फाइन आर्ट्स में छात्र थे। उनकी कलाकृतियों को देखने के कुछ दिनों बाद ही उन्हें बता दिया गया कि 12 दिसंबर से शुरू होने वाले 108 दिवसीय केएमबी के लिए उनका चयन किया गया है।
Artist C Unnikrishnan's  art installation on bricks at CSI Bungalow,Fort Kochi.
मध्य केरल के पलक्कड़ जिले में अर्द्ध-पहाड़ी पेझुमपारा गांव के निवासी उन्नीकृष्णन कहते हैं, ‘‘यह जानने के बाद भी कि मेरा चयन केएमबी’14 के लिए कर लिया गया है, मुझे विश्वास नहीं हुआ कि मेरी कलाकृतियों को मुख्य बिनाले में प्रदर्शित किया जाएगा। मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध कलाकारों के साथ अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित करने को लेकर काफी रोमांचित था।’’
कलात याद करते हुए कहते हैं कि उन्नीकृष्णन के काॅलेज में स्नातक प्रदर्शनी में उनकी कलाकृतियां दीर्घा के मध्य में हाथ से पेंट की गयी ईंट की दीवार पर बनायी गयी थीं। शारजाह बिनाले के लिए उन्नीकृष्णन का चयन किये जाने पर रोमांच अनुभव करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह दीवार उस तरह से खड़ी थी मानो किसी तस्वीर के वृतांत को चिनाई कर गुथ दिया गया हो। प्रत्येक इकाई में एक- एक तस्वीर थी और हर ईंट एक अलग दुनिया के दृश्य को दर्शा रही थी। इस परिसर में प्रदर्शित उनकी कलाकृतियों ने मुझे उन्नीकृष्णन को बिनाले में आमंत्रित करने के लिए प्रेरणा दी। मैं शारजाह बिनाले सूची के लिए उन्नीकृष्णन पर एक लघु निबंध लिख रहा हूँ।’’
उन्नीकृष्णन ने कहा कि फोर्ट कोच्चि में सीएसआई बंगले में उनकी बिनाले कलाकृतियां उनके द्वारा काॅलेज के दिनों में बनायी गयी कलाकृतियों का ही अगला चरण है। तकनीकी तौर पर, यह 300 से अधिक ईंटों से बनी अपने बलबूते खड़ी एक दीवार है जिसमें हर ईंट पर एक तस्वीर बनायी गयी है जिसे उन्होंने अपने आसपास के जीवन से प्रेरित होकर बनाया है। इनमें चमेली की कलियों की लड़ी, बर्तन और पैन, छिपकली और मछली का वास्तविक कंकाल, सूखा नारियल, परदे में महिलाएं, एक मृत मक्खी को खींच रहीं चींटियां शामिल हैं। आयताकार टेराकोटा क्यूबनुमा क्षेत्र की हर तस्वीर एक ऐसी कहानी कहती है कि दर्शक पहले वाली कहानी को भूल जाता है। 
अपने अनोखे कार्य के लिए तेल और एक्रेलिक का इस्तेमाल करने वाले उन्नीकृष्णन कहते हैं, ‘‘यह स्थानीय इतिहास और लोकगीत की एक डायरी है। मैं इस क्षेत्र में घूमता रहा हूं और यहाँ के लोगों से बातचीत करता रहा हूं। यहाँ प्रदर्शित कुछ कलाकृतियां उन कहानियों पर आधारित हैं जिन्हें मैंने यहां सुना है। कैनवास एक बड़ी जगह की तरह लगता है, ईंट निकटता का आभास कराते हैं और मुझे ईंटों का खुरदरापन और उनकी बनावट पसंद है।’’ उन्होंने केएमबी’14 के लिए कुछ नया करने की भी कोशिश की और ईंटों पर कुछ नक्काशी की।
उन्नीकृष्णन ने पहले अपने घर में ही अपने कमरे में कलाकृतियां बनाना शुरू किया। एक दिन में एक पेंटिंग को पूरा करने के बाद वह उसे एक दृश्य डायरी में दर्ज करते थे। उनके माता- पिता दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर हैं। उन्हें इस तरह की कला का बिल्कुल ज्ञान नहीं था। वास्तव में वे चाहते थे कि उन्नीकृष्णन कुछ ऐसा काम सीखे जिससे उसे नौकरी मिल जाए। इससे उन्हें आर्थिक रूप से भी मदद मिलता। इसलिए उन्नीकृष्णन ने अपने माता- पिता को खुश करने के लिए युवा बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया।
फिर भी, उन्नीकृष्णन के शिक्षक उन्हें कला के क्षेत्र में ले ही आये। जल्द ही, उन्हें चेन्नई में अपना पहला समूह शो में भाग लेने का मौका मिला। उस शो के बाद एक शिक्षक ने उन्हें बताया कि वह जिस क्षेत्र को पसंद करते हैं, उस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने उन्नीकृष्णन को इस क्षेत्र में कुछ करने के लिए प्रेरित किया। उनके द्वारा ईंटों पर बनाया गया वीडियो पृष्ठभूमि में उनके अपने परिवार के बारे में काफी कुछ कहता है- मुख्य रूप से उनकी मां और बहन के बारे में।
कलाकार नेनमारा के नजदीक अपने पैतृक निवास की सादगी के बारे में कहते हैं, ‘‘मेरी कलाकृतियों में मेरी पृष्ठभूमि और व्यक्तिगत तत्व बहुत मजबूती से निहित हैं।’’ इस प्रकार, उनकी केएमबी’14 की कलाकृतियां स्थानीय लोकाचार की कहानियों पर आधारित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी चाची पूजा- पाठ करने वाली महिला हैं, इसलिए उनकी कहानियां और गीत, और मिथक और विश्वास हमेशा मेरी कलाकृतियों में शामिल हो ही जाते हैं। जब मुझे लगा कि मेरे साथ बात करने वाला कोई नहीं है, तो मैंने घर पर ही कलाकृतियां बनाना शुरू कर दिया। और इस प्रकार मैंने अपने अपने घर में दीवार पर अपने विचारों की डायरी बनाना शुरू किया।’’
कृष्णमाचारी कहते हैं कि एक कलाकार के रूप में उन्होंने पाया कि उन्नीकृष्णन के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियां बहुत ही रोचक होती हैं। उन्होंने कहा कि युवा कलाकार कलाकृतियां बनाने के लिए नई सामग्रियों की खोज करते हैं और अपने आसपास के जीवन और अपने गांव के अनुष्ठानों पर हर दिन कथा के सृजन ने उनमें ‘‘रचनात्मक चिंगारी’’ पैदा की और उनके कार्याें को एक अलग पहचान दी।

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