बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

कोच्चि- मुजिरिस बिनाले में एन. एस. हर्ष की कलाकृति ‘‘मैटर’’ और इंफिनिटी

कोच्चि, 11 फरवरी: कोच्चि - मुजिरिस बिनाले, 2014 के क्यूरेटर जितिश कलात जब कलाकार एन. एस. हर्ष के पास पहुंचे तब वह बंदर के आकार वाली अपनी खास कलाकृति को सजाने-संवारने में जुटे थे। उस कलाकृति को देखकर श्री कलात के मुंह से अनायास निकल गया, ‘‘वह निश्चित रूप से इस कलाकृति को लेना चाहेंगे।’’
इससे प्रेरित होकर एन. एस. हर्ष उस कलाकृति को अंतिम रूप देने में जुट गये और महीनों की उनकी मेहनत रंग लायी और इस मेहनत की परिणति बिनाले में ‘‘मैटर’’ नामक कला-कृति स्थापित की। ‘‘मैटर’’ नामक कलाकृति साधु सरीखा बंदर है जिसके एक हाथ में ‘‘गोलाकार’’ वस्तु है जबकि दूसरे हाथ से वह आकाश की ओर इशारा कर रहा है। बिनाले के आयोजन स्थलों में से एक पेपर हाउस में प्रवेश करते ही आगंतुकों के सामने यह कलाकृति दिखाती है। उनकी एक कलाकृति ‘‘पुनरापी जननम पुरापी मरनम’’ (एक बार फिर जन्म, एक बार फिर मृत्य) बिनाले के अन्य आयोजन स्थल एस्पिनवाल में प्रदर्शित की गयी है। 

Mysore-based artist N S Harsha at his KMB '14
 work 'Punarapi Jananam Punarapi Maranam' at Aspinwall 
वह क्यों संघर्ष कर रहा था? मैसूर के कलाकार कहते हैं, ‘‘मैं किसी भी मैटर को आमतौर पर कल्पना के साथ बहुत ही साधारण ढंग से संभालता हूं। और यह वास्तव में जमीनी और भारी है। बंदर यह सुझाव देते हुए ब्रह्मांड की ओर इशारा कर रहा है कि यह ‘‘हमेशा के लिए’’ है और हमारी शाश्वत मानव खोज है। यह कलाकृति यह बताती है कि आप गहराई से क्या महसूस करते हैं और जिसके लिए आपके पास शब्द नहीं है।’’ 
हर्ष की कृतियों में बंदर एक आवर्ती विषय है। बर्लिन के सांस्कृतिक परिसर, अगस्तस्ट्रासी 10 में उनकी मूर्तिकला इंस्टालेशन ‘‘तमाशा’’ में लंगूरों के झुण्ड को दर्शाया गया है जिसने इमारत पर कब्जा कर लिया है। बर्लिन और लंदन में रहने वाले, लेकिन हमेशा मैसूर वापस आने को इच्छुक कलाकार कहते हैं, ‘‘बंदर हमेशा सक्रिय रहते हैं। वे मेरे मन के लिए रूपक हैं। मैं उन्हें अपने स्टूडियो में लेकर आया। मुझे वह अच्छे लगते हैं । पशु मेरी सोच में बसे हुए हैं।’’
‘पुनरापी जननम पुनरापी मरनम’ का शीर्षक उन्होंने जन्म और मृत्यु के अंतहीन चक्र पर एक संस्कृत भजन से लिया है, जो बिल्कुल अलग प्रकार का भजन है। इस कलाकृति का 79 फीट गुना 12 फीट का विशाल आकार खौफनाक लेकिन प्रेरणादायक है। इसमें ब्रह्मांड को घूमते हुए चित्रित किया गया है जिसे एक अनंत लूप के रूप में प्रस्तुत किया गया है जिसमें  तारों और ग्रहों को बिंदी के रूप में दिखाया गया है। यह स्थान और समय के माध्यम से एक कभी न खत्म होने वाली यात्रा है।
45 वर्षीय कलाकार कहते हैं, ‘‘इसे एक नाटकीय पृष्ठभूमि के विचार के साथ बनाया गया था। यह एक डूडल है लेकिन मानव पैमाने पर नहीं। जब लोग इसके पास जाते हैं, इसे देखते हैं और इसके आकार से बात करना चाहते हैं तो ऐसा लगता है मानो लोग अंतरिक्ष के चारो ओर घूम रहे हैं । कला मेरे माध्यम से नहीं, बल्कि मेरे द्वारा बनायी जाती है। हमें यह विचार करना होगा कि हम सिर्फ माध्यम हैं जो इस अनंत ब्रह्मांड के माध्यम से गुजरता है।’’
Mysore-based artist N S Harsha at his KMB '14
work 'Punarapi Jananam Punarapi Maranam' at Aspinwall
कलात कहते हैं ‘पुनरापी जननम पुनरापी मरनम’ बहुत बड़े  अनुपात में एक अकेला ब्रश स्ट्रोक की तरह है। यह इतना बड़ा और विस्तुत है कि इसमें एक पूरा ब्रह्मांड समा सकता है। कलात कहते हैं, ‘‘टेढ़ा - मेढ़ा ब्रश स्ट्रोक एक अंतहीन लूप की तरह खुद में ही वापस आ जाता है मानो यह एक अन्य ब्रह्मांड से मिलने के लिए यात्रा कर रहा है। ‘‘व्होल्र्ड एक्सप्लोरेशन्स’’ में ‘‘मैटर’’ आकाशीय और स्थलीय के बीच एक पुल है।’’
उन्हें लगता है कि ‘‘व्होल्र्ड एक्सप्लोरेशन्स’’ का क्यूरेटर थीम एक आकस्मिक संबंध की अनुमति नहीं देता है, आरै वास्तव में यह लोगों को ‘‘ब्रह्मांड में उनकी स्थिति’’ के बारे में बड़े सवाल पूछने के लिए मजबूर करता है।वह कहते हैं , ‘‘मैं इस बात को लेकर उत्साहित था कि इस क्षेत्र को खोजने में  लोगों को कितनी सदियां लगी। लेकिन जितिश ने इसे लोकप्रिय बनाने के लिए एक मंच के रूप में देखा। हमने हमेशा सांस्कृतिक गतिविधि के लिए भारत के उत्तर की ओर देखा, लेकिन मैने महसूस किया कि बिनाले दक्षिण को देश में एक मुख्य केद्रं बना सकता है। यह मेरे लिए बहुत खास था कि यह दक्षिण में हो रहा है।’’
हर्ष टोक्यो के समकालीन संग्रहालय, मोरी आर्ट्स सेंटर  के मुख्य क्यूरेटर जापान के मामी काटौका के साथ दूसरी बार केएमबी का दौरा  कर रहे थे, जो 2016 में  उनकी कलाकृतियों का एक पूर्वव्यापी आयोजन कर रहा है।

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