सोमवार, 22 जून 2015

राष्ट्रीय संग्रहालय अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में शामिल हुआ योग पर आधारित प्रदर्शनी ‘‘योग चक्र’’ में राष्ट्रीय संग्रहालय की 41 कला वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया

Buddha in Earth Touching Pose
नई दिल्ली, 22 जून: भारत की प्रमुख सांस्कृतिक संस्था, राष्ट्रीय संग्रहालय योग पर आयोजित एक उत्कृष्ठ प्रदर्शनी में हिस्सेदारी करके प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के योग के लिए चलाये गये राष्ट्रीय अभियान में शामिल हुआ। शरीर और आत्मा के शुद्धिकरण की देश की प्राचीन पद्धति को प्रदर्शित करने वाली इस प्रदर्शनी में राष्ट्रीय संग्रहालय की कलाकृतियों को भी प्रदर्शित किया गया।
संग्रहालय ने संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी ‘योग - चक्र’ में 36 मूल कलाकृतियों के अलावा प्राचीन कलाकृतियों की पांच प्रतिकृतियां प्रदान की। इनमें नृत्य करती हुई लड़की और योग मुद्राओं में टेराकोटा की मूर्तियां भी शामिल हैं। यह प्रदर्शनी राष्ट्रीय संग्रहालय के सहयोग से राष्ट्रीय राजधानी में रवींद्र भवन की ललित कला अकादमी की दीर्घाओं में आयोजित की गयी।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) को शुरू हुई सप्ताह भर चलने वाली प्रदर्शनी में शामिल की गयी संग्रहालय की वस्तुओं में उत्तर प्रदेश के सारनाथ से लायी गयी एक योग मुद्रा में पत्थर की बनी 9 वीं शताब्दी की बुद्ध की प्रतिमा के साथ- साथ 11 वीं सदी की योग की मुद्रा में पत्थर से निर्मित योगिनी की मूर्ति शामिल है।
Seated Male in Namaskar Mudra
भारत के सांस्कृतिक इतिहास के एक अनूठे पहलू को दर्शाने वाली ये कलाकृतियां योग, भारत के हजारों साल के इतिहास और कश्मीर से लेकर केरल तक के भौगोलिक परिदृष्य से जुड़ी हैं। संग्रहालय के संग्रह के इस हिस्से में मूर्तियां, कांसे, पेंटिंग, पांडुलिपियां, मिट्टी और लकड़ी की मूर्तियां शामिल हैं।
यहां हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के समय की चार अनूठी कला वस्तुओं की प्रतिकृतियां भी हैं जिनमें 2700 ईपू. से 2100 ईसा पूर्व के बीच की टेराकोटा में ‘नमस्कार की मुद्रा में बैठा मनुष्य’; 2500 ईसा पूर्व से 2200 ईसा पूर्व के बीच की मोहनजोदड़ो के समय की टेराकोटा में ही ‘योग मुद्रा में बैठा मनुष्य ’; 2500 ईसा पूर्व में मोहनजोदड़ो के समय की एक ‘पशुपति सील’ और उसी समय की नृत्य करती लड़की शामिल है।
इसके अलावा, गुप्त वंश के राजा समुद्रगुप्त के प्रसिद्ध सिक्के के एक प्रतिकृति भी है।
Yogini Vrishanana
यहां प्रदर्शित अन्य वस्तुओं में 20 वीं सदी से संबंधित केरल से लकड़ी से निर्मित एक ध्यान मग्न संत, 19 वीं सदी के कश्मीर से कागज पर योग सूत्र, हैदराबाद से पत्थर में योग मुद्रा में 13 वीं सदी के नाथ योगी, और हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से 18 वीं सदी के बैठे हुए योगी की पेंटिंग भी शामिल हैं।
राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक श्री संजीव मित्तल ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय संग्रहालय में कलाकृतियों की एक आश्चर्यजनक श्रृंखला है जिनका योग की पवित्र परंपराओं के साथ करीबी संबंध है। भव्य आयोजन के लिए संग्रहालय से चुनी गयी वस्तुएं निष्चित रूप से सभी आयु वर्ग के दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगी।
प्रदर्शनी में योग से संबंधित कलाकृतियां ललित कला अकादमी, भारतीय संग्रहालय, कोलकाता, और भारत कला भवन, वाराणसी सहित पांच अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं की हैं। प्रदर्शनी में 300 से अधिक कलाकृतियों को शामिल किया गया है और भारत और विदेश से लगभग 150 कलाकारों द्वारा नृत्य और संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
प्रदर्शनी के ‘योग- चक्र’ खंड में राष्ट्रीय संग्रहालय की वस्तुओं में ऐसी 300 मल्टीमीडिया अभिव्यक्तियां शामिल हैं जो ‘ज्ञान’, ‘कर्म’ और ‘भक्ति’ योग की अवधारणाओं को दर्शाती हैं।
Yogsutra, Bhairavastotra  and Haristotra (Bound in single  volume)

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