रविवार, 9 अगस्त 2015

अपने बुनियाद को कायम रखते हुये बिनाले का परिदृष्य उभर रहा है: क्यूरेटर

मुंबई / कोच्चि, 8 अगस्त: कोच्चि- मुजिरिस बिनाले (केएमबी) का सौंदर्य धीरे-धीरे विकसित हो रहा है क्योंकि भारत का एकमात्र समकालीन कला महोत्सव कोच्चि की अव्यक्त महानगरीय भावना और तटीय क्षेत्र के औपनिवेशिक काल से पहले की शताब्दियों के सह-अस्तित्व के बहुसांस्कृतिक इतिहास को व्यक्त करने के अपने मूल विचार के साथ शुरू होने वाला है। देश के प्रमुख क्यूरेटरों ने इस बात का खुलासा किया।
कोच्चि बिनाले फाउंडेशन (केबीएफ) द्वारा केएमबी के आगामी (2016) संस्करण के लिए क्यूरेटर की घोषणा किये जाने के तीन सप्ताह बाद मुंबई में आयोजित एक पैनल चर्चा में वक्ताओं ने बिनाले के अपने अनुभवों को साझा किया और इसके संगठन के द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों और अधिक से अधिक लोगों तक बड़े पैमाने पर विचारों को ले जाने की चुनौतियों पर चर्चा की।

From left to right: Prajna Desai, Art Historian, in conversation with Riyas Komu, Co-curator, Kochi-Muziris Biennale 2012 & Co-founder, Kochi Biennale Foundation, Sudarshan Shetty,Artistic Director & Curator, Kochi-Muziris Biennale 2016, Bose Krishnamachari, Co-curator, Kochi-Muziris Biennale 2012 & Co-founder, Kochi Biennale Foundation and Jitish Kallat,Artistic Director & Curator, Kochi-Muziris Biennale 2014.
कला इतिहासकार प्रज्ञा देसाई ने शुक्रवार की शाम को आयोजित इस चर्चा का संचालन किया जिसमें केएमबी (2012) के पहले संस्करण के सह-क्यूरेटर बोस कृष्णमाचारी और रियास कोमू ने अपने 2014 और 2016 के समकक्षों - जितिष कलात और सुदर्शन शेट्टी के साथ इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार बिनाले ने कई समुचित विवेक एवं तर्क के साथ अपनी गुणवत्ता को बरकरार रखा है यहां तक कि मौसम के खराब होने पर भी इस आयोजन के पिछले दो संस्करणों में 9 लाख से कम दर्शक आने के बावजूद भी इसने अपनी गुणवत्ता को बरकार रखा।
80 मिनट की यह चर्चा केएमबी के पिछले दो संस्करणों के सार को पेश करने वाली एक लघु फिल्म के साथ शुरू हुई जिसकी शुरुआत कृष्णमाचारी के द्वारा भारत के पहले बिनाले की मेजबानी की योजना के प्रारंभ और 2010 में स्थापित केबीएफ के संघर्श और अंततः विजय को याद करते हुए हुई।
राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा में खचाखच भरे दर्शकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘तब से, समकालीन कला के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और भारत में कला तक अधिक से अधिक लोगों की पहुंच का विस्तार करने के प्रयास किये गये हैं। हम अपने द्वारा पेशकश किये गये कई सहयोगों पर अमल कर कार्यक्रमों और रेजीडेंजिस के आदान- प्रदान में भी संलग्न रहे हैं।’’
कृष्णमाचारी की तरह ही ख्याति प्राप्त और मुंबई में रहने वाले कलाकार कोमू ने कहा कि केएमबी एक मजबूत मंच रहा है और इसने भारत में समकालीन अंतरराष्ट्रीय दृश्य कला सिद्धांत और प्रथा को शुरू किया है और इसने कला के अनुभवों के अलावा नए भारतीय और अंतरराष्ट्रीय एस्थेटिक का प्रदर्शन और इस पर बहस किया है ताकि कलाकारों, क्यूरेटर और जनता के बीच एक संवाद कायम हो सके।
एक पुराने व्यापारिक बंदरगाह के रूप में कोच्चि के पूर्व और मौजूदा अनुभव में निहित विष्वबंधुत्व और आधुनिकता की एक नई भाषा का सृजन करने के लिए ‘पीपुल्स बिनाले’ के रूप में केएमबी के मूल मिशन की पुष्टि करते हुए, उन्होंने कहा कि तटीय केंद्रीय केरल शहर में छह शताब्दियों से अधिक समय तक कई सांप्रदायिक वर्ग के लिए संकट की घड़ी रही है। उन्होंने कहा, ‘‘कोच्चि भारत के वैसे कुछ शहरों में हैं जहां सांस्कृतिक बहुलवाद की पूर्व औपनिवेशिक परंपराओं का पनपना जारी है। ये परंपराएं सांस्कृतिक बहुलवाद, वैश्वीकरण और बहुसंस्कृतिवाद के पद-आत्मज्ञान के विचारों की परभक्षी हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, वे 14 वीं सदी में बड़े पैमाने पर आयी बाढ़ के बाद कीचड़ और पौराणिक कथाओं की  रतों के नीचे दब गये प्राचीन शहर का पता लगा सकते हैं।’’
कलात को केएमबी के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बोलने के लिये आमंत्रित करके मॉडरेटर देसाई ने चर्चा को  गले चरण में बढ़ाया। उन्होंने कहा कि भारत में बिनाले की सफलता की कहानी है और यह इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी तक इसके दो संस्करण ही हुये हैं।
मुंबई निवासी कलात ने कहा कि उनके द्वारा क्यूरेटर किया गया केएमबी’14 सिर्फ कोच्चि के बारे में ही नहीं था बल्कि कोच्चि से था। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अपने क्यूरेटोरियल वक्तव्य में ब्रह्माण्ड विज्ञान में अपनी गहरी रुचि के बारे में चर्चा की थी। दरअसल बिनाले की शक्ति उसकी नाजुकता में निहित है।
2016 बिनाले में संभावित कलाकारों के साथ संवाद आरंभ करने वाले शेट्टी ने कहा कि विस्तृत शोध एवं विभिन्न क्षेत्रों के अनेक लोगों के साथ संवाद जारी है। यह प्रयास भी बड़े पैमाने पर जारी है कि परम्परा और समकालीनता की धाराओं को पाटा जाये।
चर्चा के आखिरी चरण में दर्शकों के साथ संवाद आयोजित हुआ जिसमें वक्ताओं ने दर्शकों के सवालों के जवाब दिये। दर्शकों ने पूछा कि किस तरह से केबीएम कला शिक्षा को बढ़ावा देता है और कोच्चिं आखिर कैसे भारत के सदियों पुराने विश्वबंधुत्व में विषेश जगह रखता है और किस तरह से ऐसी वैकल्पिक ताकत वाला बिनाले हरेक के सहयोग के साथ निरंतर रूप से जारी है। 

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