सोमवार, 26 दिसंबर 2016

कोच्चि मुजिरिस बिनाले में आर्किटेक्चर के छात्रों ने अध्ययन और कला के बीच के संबंध के बारे में जाना


के एम ई ए काॅलेज आॅफ आर्किटेक्चर के छात्रों ने इस सप्ताह के आरंभ में बिनाले की फिल्ड टिंप में

हिस्सा लिया

कोच्चि, 26 दिसंबर: केएमईए काॅलेज आॅफ आर्किटेक्चर के बैचलर आॅफ आर्किटेक्चर के छात्रों ने काॅलेज की कक्षा से एक दिन बाहर रहकर एक नए षिक्षण अनुभव का साक्षात्कार किया। इन छात्रों ने इस सप्ताह के आरंभ में तीसरे कोच्चि मुजिरिस बिनाले (केएमबी) को देखा।

छात्रों ने इस फिल्ड ट्रिप के दौरान आर्किटेक्चर एवं कला के बीच के पारस्परिक संबंधों की संभावनाओं की तलाश की तथा इन दोनों के बीच के सबंध को समझा।
Architecture students make a visit to the Biennale to explore the links between art and their studies at Aspinwall,Fort Kochi
बैचलर आॅफ आर्किटेक्चर के छात्र जैन जाॅय ने कहा, ‘‘कहा जाता है कि वास्तुकला सभी कलाओं की जननी है। लेकिन बिनाले को देखकर मैं यह मानने लगा हूं कि कला अन्य सबसे उपर है। यहां की कलाकृतियां न केवल आकर्शक है, बल्कि जिन जगहों को कलाकृतियों में तब्दील किया गया वे भी मुख्य आकर्षण हैं।’’

छात्रों का यह समूह पवेलियन से खास तौर पर प्रभावित हुआ। इसे मलवे एवं बेकार वस्तुओं से सजाया गया था। इन वस्तुओं में लहरदार चादरें एवं स्थानीय समुदाय की पुरानी साड़ियां भी शामिल हैं। इसे फोर्ट कोच्चि में काब्राल यार्ड में आर्किटेक्ट एवं केएमबी, 2016 में भाग ले रहे कलाकार टोनी जोसेफ ने तैयार किया।

केएमईए काॅलेज की शिक्षक एवं प्रैक्टिशिंग आर्किटेक्चर मोनोलिता चटर्जी ने कहा, ‘‘फोर्ट कोच्चि के संदर्भ में, इसने निर्मित वातावरण एवं कलात्मक अभिव्यक्तियों के बीच सतत संवाद कायम किया है। फोर्ट कोच्चि विरासत से संबंधित घटक बहुत ही प्रबल कारक है क्योंकि कलाकृतियों को समायोजित करने के लिए इस निर्मित वातावरण का पूरी तरह कायाकल्प कर दिया गया है तथा कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों को जगह का पूरक बना दिया है।’’
Architecture students make a visit to the Biennale to explore the links between art and their studies at Aspinwall,Fort Kochi
हरिता रांचित के लिए बिनाले सभी कला रूपों का एक सम्मिश्रण है। वह कहती है, ‘‘यहां न केवल दृश्य कलाओं को प्रदर्शित किया गया है बल्कि प्रयोगधर्मी कृतियां भी सभी पांचों इंद्रियों पर प्रभाव डालती हैं।’’ राशिद बिन अहमद के लिए बिनाले बिल्कुल अलग तरह का अनुभव साबित हुआ।

राषिद ने कहा, ‘‘कुछ कृतियां मौजूद व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह प्रकट करती है जबकि कुछ अन्य कृतियां आत्मविश्लेशी शांति को प्रतिबिंबित करती हैं। ये पहलू बिनाले के स्थलों के माहौल को अनूठा बनाते हैं।’’

चटर्जी ने कहा, ‘‘इस यात्रा का उद्देश्य उस कला के बारे में छात्रों की समझ में सुधार करना है जिसने अब बहु स्तरीय, बहु-अनुशासनात्मक और बहु संवेदी आकार और स्वरूप ग्रहण कर लिया है।’’

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