रविवार, 1 अप्रैल 2012

विलुप्त होती बिहार की प्राचीन कला पर दो दिवसीय चर्चा का आयोजन

बिहार सदियों से कला का गढ़ रहा है / यहाँ की कला एवं संस्कृति पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखती है / यहाँ की प्राचीन कला पटना कलम हो या सिक्की कला , गोदना हो या मधुबनी चित्र सभी को दुनिया भर में बड़े हीं सम्मान के साथ जाना जाता है/ पर कुछ समय से यह अपने हीं घर में उपेक्षा का सामना कर रहा है / कुछ तो विलुप्त हो चुके हैं तथा कुछ विलुप्ति के कगार पर हैं / इन्ही विषयों पर दो दिवसीय चर्चा का आयोजन स्थानीय संस्था ज्ञानकिरण के तत्वावधान में पटना के IIBM हौल में किया गया / ३० एवं ३१ मार्च , २०१२ को आयोजित इस चर्चा में श्री ज्योतिष जोशी, श्री श्याम शर्मा , अनिल कुमार सिन्हा , अवधेश अमन आदि वक्ताओं ने अपने विचारों से श्रोताओं को अवगत कराया /

3 टिप्‍पणियां:

  1. shreeman ji,
    aap ke site per aapna work kaise lode karsakte hai.
    - jigyasu
    ideaadd1@yahoo.com

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  2. अपने साईट पर हम उन कलाकारों का विवरण डालते है जो किसी न किसी रूप से बिहार से जुड़े है ( या तो उनका जन्म बिहार में हुआ हो या बिहार में रहते हों या कॉलेज ऑफ़ आर्ट , पटना से पढ़े हों ) / इसके लिए आपको अपनी तीन कलाकृतियों ( समसामयिक चक्षुस कला Contemporary visual art ) की छायाचित्र एक अपना सेल्फ फोटो तथा बायो-डाटा (word file) हमारे इ-मेल आइ डी artofbihar@gmail.com पर भेज दें /

    धन्यवाद्

    राजेश चन्द

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  3. It is very nice to discuss on our art. I am also an artist and i know how much this is important for us.
    Modern Art Gallery

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