सोमवार, 12 जनवरी 2015

पाक में समकालीन कलाकृतियां 1980 की परिस्थितियों के विपरीत हैं: विशेषज्ञ

 लाहौर के नाजिश अता-उल्लाह के अनुसार नई पीढ़ी केे व्यंग्य में सकारात्मकता है 
नाजिश अता-उल्लाह

हैदराबाद, 12 जनवरी: पाकिस्तान में करीब ढाई दशक पहले कला-संस्कृति जगत पर दमनकारी प्रवृतियां हावी थी लेकिन आज पाकिस्तान की वर्तमान कला प्रतिभायें अतीत की इन प्रवृतियों से निजात पा चुकी हैं और उनमें हास्य पैदा करने और अपनी प्रतिभा का पूरी आजादी के साथ प्रभावी ढंग से उपयोग करने की क्षमता है। प्रमुख कलाकार-क्यूरेटर और इस्लामी गणतंत्र देश पाकिस्तान के लाहौर में सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ता नाजिश अता-उल्लाह ने हैदराबाद शहर में चल रहे कृश्णकृति महोत्सव के दौरान आयोजित एक व्याख्यान में बताया कि 1988 में दिवंगत हो चुके राष्ट्रपति मोहम्मद जिया-उल-हक के शासन के दौरान पाकिस्तान में कला पर बार - बार हमले किये गये लेकिन इसके विपरीत आज देश की कला का वर्तमान परिदृश्य बदल चुका है। यहां बड़ी संख्या में दीर्घाएं खुल रही हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में यहां के दृश्य कलाकारों की प्रतिष्ठा में भी लगातार इजाफा हो रहा है। कला एवं संस्कृति के कृष्णकृति वार्षिक महोत्सव के एक भाग के रूप में रविवार की शाम को शहर में आयोजित एक व्याख्यान में नाजिश अता उल्लाह ने कहा कि इससे भी अधिक, एक समय वहां महिलाओं पर अत्यधिक अत्याचार किये जाते थे। लेकिन अब वहां की महिलाएं पाकिस्तान के समकालीन कला क्षेत्र में उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। ‘बंदूक और गुलाब: पाकिस्तान में समकालीन कला’ शीर्षक वाली उनकी वार्ता में, कला शिक्षक और लेखक प्रोफेसर अता-उल्लाह ने कहा कि 1980 के दशक में, कला पर नियंत्रण शुरू होने और हमलों के कारण उनके देश में कला को ‘सबसे खराब’ स्थिति का सामना करना पड़ा। 1990 के दशक के शुरुआत से, कलाकारों की स्थिति में काफी बदलाव आया है और वे दुनिया भर में काफी प्रसिद्धी प्राप्त कर रहे हैं। लंदन में स्लेड स्कूल आॅफ फाइन आर्ट में प्रिंट मेकिंग में स्नातकोत्तर अध्ययन और लंदन यूनिवर्सिटी के इंस्टीच्यूट आॅफ एजुकेशन में कला शिक्षा प्राप्त करने वाली 64 वर्षीय वक्ता ने कहा, ‘‘आज, पाकिस्तान में कला पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। कला के सभी तरह के कार्यों को हमारी दीर्घाओं में शामिल किया जा रहा है और उन्हें पसंद किया जा रहा है।’’ कृष्णकृति महोत्सव के आखिरी दिन एल. वी. प्रसाद नेत्र संस्थान में उनके व्याख्यान के दौरान राजस्थानी कलाकार चिंतन उपाध्याय भी मौजूद थे। श्री उपाध्याय ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले गैर लाभकारी संगठन ‘‘संदर्भ’’ के संस्थापक हैं। प्रोफेसर अता उल्लाह जब हमारे देश के हाल के इतिहास में श्रेष्ठ चुनिंदा कलाकारों का चयन कर रहे थे, तो उन्होंने अपने कैरियर के मध्य अवधि वाले कलाकार अली रजा के द्वारा 2008 में बनायी गयी एक तस्वीर को देखा। नीले रंग के भव्य इस्तेमाल से बनाया गया ‘मेकिंग आॅफ गन्स’ एक नजर में दर्शकों को गुमराह कर सकता है जिसमें बच्चों को कढ़ाई जैसा कुछ काम करते दिखाया गया है जबकि वे वास्तव में बंदूकों का निर्माण कर रहे हैं ।’’
कलाकार चिंतन उपाध्याय
आयशा जटोई की 2006 में निर्मित ‘क्लोथ्सलाइन’ बहुत ही उत्कृश्ट कलाकृति है जिसमें इस्लामाबाद के कलाकार ने अपने शहर के एक चैराहे में रखे एक अप्रयुक्त बमवर्षक विमान पर लाल रंग का कपड़ा लटकाया हुआ है। लाहौर के नेशनल काॅलेज आॅफ आर्ट्स में ललित कला विभाग में प्रिंट मेकिंग के प्रमुख इस वक्ता ने कहा, ‘‘जब सेना के कर्मियों ने इस पर रोक लगा दी, तो उन्होंने इस कार्य का डाॅक्युमेंट तैयार किया।’’ सना अर्जुमंद की कृति में पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज की तर्ज पर एक कपड़े पर डिजाइन बनाकर उसे एक कार के उपर रखा हुआ दिखाया गया है। फैज बट्ट का ‘प्लेसबोज फाॅर माई वैरियर्स’ में एक आंख वाले व्यक्ति को दिखाया गया है जो तालिबान के सर्वोच्च कमांडर मुल्ला उमर की तरह संदिग्ध दिखता है। यह कृति प्रोफेसर अता-उल्लाह की श्रृंखला से ऊपर है। ‘टोपी वाला’ शीर्षक वाली अली काजिम की 2006 की कृति में एक नंगे बंदन और टोपी पहने दाढ़ी वाले आदमी के चेहरे को दिखाया गया है जिसने अपनी आँखें बंद की हुई है। उसकी अभिव्यक्ति पहेलीनुमा है। रबिया नासिर और हुरमीत उल ऐन की वीडियो कलाकृति में दो पाकिस्तानी लड़कियों को अपने सिर को उपर और नीचे की ओर घूमाते हुए स्टीरियोटाइप वाक्य बोलते दिखाया गया है। उसके बाद नाजिया खान के द्वारा बनाया गया कवच स्कर्ट है जो इन दिनों अपने पैतृक पाकिस्तान में नहीं रह रही हैं। लाहौर निवासी रिशम सैयद की 2012 की ‘क्विल्ट’ श्रृंखला की तस्वीरें और इमरान मुदस्सर की 2088 की अनाम शीर्षक वाली श्रृंखला के अलावा फरीदा बैतूल की जली हुई इमारत के सामने रस्सी कूदती हुई लड़की और शारजाह बिनाले में अति सूक्ष्म चित्र बनाने वाले मास्टर इमरान कुरैशी की कृतियों को भी पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से यहां प्रदर्शित किया गया है। यह प्रदर्शनी हैदर अली जैन के 2014 के एक वीडियो प्रस्तुति के साथ संपन्न हुई। इसके अलावा इस दिन तीन प्रदर्शनियों का भी उद्घाटन किया गया। ये सभी प्रदर्शनियां नई प्रौद्योगिकियों और पारंपरिक कला का उपयोग करने वाले फ्रांसीसी कलाकार बी2फेज की हैं। कलाकृति गैलरी में ‘नोमेड्स आॅफ मेमोरीज’ (पेंटिंग) और एलायंस फ्रैंसाइज में इंटरैक्टिव मीडिया इंस्टालेशन का समापन 21 जनवरी को होगा जबकि गोथे जेंट्रम में 19 जनवरी को शो का समापन किया जाएगा। रविवार पूर्वाह्न में, अन्नपूर्णा इंटरनेशनल स्कूल आॅफ फिल्म एंड मीडिया ने 11वें कृष्णकृति महोत्सव के हिस्से के रूप में एक फिल्म निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। संस्थान के अध्यक्ष क्रिस हिगिंस ने विभिन्न उम्र और क्षेत्रों से करीब 20 प्रतिनिधियों की कहानी लेखन पर कक्षा ली। शाम में, भोज साहित्य के हैदराबाद के दखनी धारा पर एक फिल्म दिखाई गई। 120 मिनट के वृत्तचित्र ‘ए टंग अनटायड’ के निर्देशक गौतम पेम्माराजू ने दर्शकों के साथ बातचीत की। कृष्णकृति फाउंडेशन द्वारा नियोजित पांच दिवसीय महोत्सव के तहत, वार्ता, सेमिनारों और कार्यशालाओं के अलावा प्रमुख नृत्य, संगीत, सिनेमा और पेंटिंग का भी प्रदर्शन किया गया। फाउंडेशन के प्रमुख प्रशांत लाहोटी ने कहा कि इसके साथ ही एक बड़े और प्रमुख कला शिविर का आयोजन किया गया। इससे प्राप्त आय चैरिटी को दान दे दी जाएगी।

M D NICHE - Media Consultants

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