गुरुवार, 5 मार्च 2015

अनाथालय की बेसहारा लड़कियों का चित्रण कोच्चि-मुजिरिस बिनाले में

कलाकार मिथु सेन ने बिनाले में केरल के एक अनाथालय में यौन दुव्र्यवहार से पीडि़त लड़कियों के जीवन
का चित्रण किया
कोच्चि, 5 मार्च: कैनवास पर ब्रश चलानेवाले की बजाय, वह अपनी कला को सीधे उस जगह पर ले गयी जहां उजाला नहीं बल्कि अंधेरा है। प्रख्यात कलाकार मिथु सेन अपनी कला को केरल के यौन और भावनात्मक रूप से शोषित नाबालिग लड़कियों के एक अनाथालय में ले गयीं।
प्रख्यात कलाकार मिथु सेन ने कोच्चि में बेसहारा लड़कियों के एक अनाथालय में 42 मिनट का दिलचस्प किन विचलित कर देने वाला एक वीडियो इंस्टालेशन ‘मेरी केवल एक ही भाषा है; यह मेरी नहीं है’ तैयार किया है।जब वह इस वीडियो को तैयार कर रही थीं तो उन लड़कियों को यह नहीं बताया गया था वे उनकी परियोजना का हिस्सा बनने जा रही है, जिसे यहां चल रहे कोच्चि मुजिरिस बिनाले के मुख्य समारोह स्थल एस्निवाल हाउस में प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है।
Artist Mithu Sen_KBF
इस वीडियो को बनाते समय, कलाकार सचेत थी कि इससे बच्चों को किसी एक विषय पर केंद्रित नहीं कर, उनकी पीड़ा और आशा, सहजता और मासूमियत, जोखिम और विद्रोह और अन्य चीजों सहित जीवन के लिए उनके उत्साह को भी साझा किया जाये। उनके जीवन का अनुभव करने के लिए और यह समझने के लिए कि उनके लिए जीवन का क्या मतलब है, वह अपनी पहचान को छिपाकर काल्पनिक नाम ‘मागो’ की कल्पना करते हुए करीब एक महीने तक उनके साथ अनाथालय में रहीं।
सेन ने, किसी स्क्रिप्ट के बगैर ही ‘स्वाभाविक आतिथ्य’ के साथ उनकी भाषा की सीमाओं और बाहर बातचीत करने की संभावना का पता लगाने के लिए, अपने होम वीडिया कैमरा और आईफोन में उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को फिल्माया। ‘मागो’ एक बेघर व्यक्ति है जो अस्पष्ट बोलती है। वह समय की अवधारणा को नहीं समझती है, और दो अज्ञात स्थानों में आती- जाती है।
वहां रहने के दौरान, सेन ने खुद को ऐसी स्थिति में रखा कि वह और बच्चे सभी काल्पनिक थे। इसे ऐसे कलाकार पर दृष्य रूप में फिल्माया गया, जो कि अनाथालय में घरेलू माँ है और बच्चे जो कि खुशी पूर्वक और थोड़ी- थोड़ी देर में कैमरा अपने हाथों में ले रहे थे। परफार्मेंस के ‘शेष भाग’ के साथ इस फुटेज से वीडियो और साउंड इंस्टालेशन से ऐसा वीडियो तैयार किया गया जिसे यहां प्रदर्शित किया गया है।
अपने कार्य पर प्रकाश डालते हुए, दिल्ली के कलाकार ने कहा कि इसमें ‘प्रदर्शन’ और ‘प्रौद्योगिकी’ के माध्यम से दो प्रायोगिक पक्ष षामिल हैं।  उन्होंने कहा, ‘‘कोच्चि में एक सरकारी घर में भावनात्मक और शारीरिक रूप से
पीडि़त युवा लड़कियों के साथ हिंसा को शामिल किये बगैर अपनी पहचान को बदलकर एक काल्पनिक चरित्र का सृजन करना और किसी भाषा के बगैर बातचीत / परफार्मेंस मेरे काम को परिभाषित करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है, भाषा एक अजीब और विदेशीपन का अनुभव कराता है जिससे हम कविता की सुगंध, छाया को सुनने या प्रकाश का स्वाद नहीं ले पाते हैं। इस कठोर संरचना से बचते हुए, यह परियोजना न केवल समझ की संकीर्णता से बाहर संचार स्थापित करने के माध्यम का पता लगाने की कोशिश करती है, बल्कि इस तरीके से बातचीत करने की भी कोशिश करती है जिसे पढ़ा, सुना या समझा नहीं जा सके।’’
सेन ने कहा कि उन्होंने लड़कियों की अजनबियों पर विश्वास करना शुरू करने में मदद करने के लिए ......... उनके काल्पनिक चरित्र को बनाया। उन्हें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, लेकिन कुछ सहज ज्ञान युक्त कृत्यों के साथ उन्हें शीघ्र प्रतिक्रिया करने की प्रवृत्ति सीखनी चाहिए। प्रदर्शन के एक भाग के रूप में, मैं उन लड़कियो के जीवन को अपनाकर और उनके साथ समन्वय स्थापित कर उनके साथ कुछ समय तक रहीं। मैंने एक कार्यात्मक घर में एक कलात्मक प्रयोग करने की कोशिश की।’’
उन्होंने कहा कि अनाथालय में गैर-भाषा में बातचीत संचार के सामान्य रूप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का एक रूप था। ‘‘मैंने (मागो) बच्चों को एक भाषा में संवाद स्थापित करने के बोझ से मुक्त कर दिया और उनके साथ शारीरिक हाव भाव से बात की जो कि डरावना, हिंसा वाला, नुकसान पहुंचाने वाला नहीं था बल्कि सार्वभौमिक था। मैं शारीरिक और भावनात्मक व्यवहार के साथ उनमें विश्वास पैदा करना चाहती थी। मैं उन्हें एक वैकल्पिक दुनिया में विश्वास दिलाना चाहती थी। मेरा मानना है कि इसने छिपे रहने वाले या दबा कर रखे गये भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए मनोचिकित्सा के रूप में मदद की।’’
सेन के कार्य न सिर्फ उन पर, बल्कि बच्चों पर भी कथार्टिक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस कार्य के दौरान इन मासूम युवा परित्यक्त लड़कियों (चिंता और अकेलेपन के साथ- साथ आत्मविश्वास में कमी वाली) को अपने समाज में दूसरों के भ्रष्ट व्यवहार से अवगत कराया जा रहा था। वे अदम्य, पारिवारिक बंधन से मुक्त और समाज द्वारा उपेक्षित हैं। मेरी परियोजना से मुझे गैर-भाषा संचार के माध्यम से पारिवारिक चरित्र के निर्माण की जटिलता को समझने में मदद मिली।’’
कलाकार ने गैर भाषी संचार / परफार्मेंस की मदद से बच्चों के अतीत / जीवन के जोखिम और कमजोरी को समझने और उन्हें जीवन में अजनबियों के साथ असामान्य रूप से पेश आने के लिए मार्गों का सृजन किया। वह
कहती हैं, ‘‘उन दिनों के दौरान बच्चों के साथ बातचीत के दौरान अर्द्ध-काल्पनिक चरित्र उभरा और विकसित हुआ।’’
वह कहती हैं, ‘‘मैंने मागो को लाया, जो बिल्कुल अलग और एक अलग- थलग रहने वाली (समाज के बच्चों की तरह) है और जो सकारात्मक अलगाव में विश्वास करती है। मागो सिर्फ एक सकारात्मक काल्पनिक चरित्र नहीं
है, बल्कि बच्चों के लिएआशा और विश्वास के लिए एक रूपक है।’’
सेन मानती हैं कि मागो के साथ बच्चों के अनुभव एक कलाकार (उनकी मूल सामाजिक पहचान) के रूप में अधिक सच है और वास्तविक हैं। वह कहती हैं, ‘‘बच्चों ने मागो के रूप में मुझे तब्दील किया; उन्होंने मुझे बनाया। तब मैने खुद को मागो के रूप में सृजित किया। मैं उनकी आँखों में उभरी; मागो उन्हें और मेरे बीच जैविक गतिशील से वास्तविक बातचीत से उभरी।’’
सेन अनाथालय में बच्चों की पहचान को लेकर बेहद सतर्क थीं। वह कहती है, ‘‘मेरी फिल्म में, मैंने रचनात्मक तरीके से सभी फुटेज को नष्ट कर दिया। मेरी फिल्म एक नृवंशविज्ञान वृत्तचित्र नहीं है। यह एक वास्तविकता पर आधारित एक असली या फंतासी फिल्म की तरह है। यह कुछ प्रकार के तार्किक रहन- सहन का दस्तावेज नहीं था; इसके बजाय, यह कम समय की एक श्रृंखला में उनके जीवन को उजागर करने के लिए किया गया था।
एक वास्तविक दुनिया के सेट के भीतर एक वैकल्पिक दुनिया का सृजन करते हुए .... मैं एक कलाकार के रूप में
उनकी वास्तविकता को सामने लाना चाहती थी। मैंने किसी की मासूमियत का इस्तेमाल नहीं किया, यह एक कार्यात्मक घर पर एक प्रयोग है।’’
कलाकार कहती हैं कि उन्होंने बच्चों के नाम न छापकर उनकी पहचान की रक्षा करने की कोशिश की। फिल्म में
न तो बच्चों के चेहरे और न ही उनकी वास्तविक जगह पहचान में आते हैं। कोई भी व्यक्ति फिल्म में किसी भी व्यक्ति से खुद को जोड़ नहीं पाएगा। इसमें सिर्फ एक मानवीय कहानी कही गयी है। और यह सब प्रौद्योगिकी की मदद से किया गया है।
बच्चों को हाल ही में एक और दुनिया का अनुभव करने के लिए और कला के विभिन्न रूपों को देखने के लिए बिनाले लाया गया। वह कहती हैं, ‘‘मुझे लगता है कि जीवन में इस तरह के अनुभवों से उन्हें रूबरू कराना हमारी जिम्मेदारी है।’’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें