मंगलवार, 6 जनवरी 2015

कोच्चि-मुजिरिस बिनाले में खिलौना गाड़ी की गतिशील छाया - आकृतियां दर्शकों में भर रही है रोमांच

 
जापानी कलाकार रियोटा के छाया-खेल बच्चों और वयस्कों दोनों को लुभा रहे हैं। 
कोच्चि, 6 जनवरी: अंदर एक अंधेरे कमरे में एक चमकदार छोटी सी खिलौनानुमा गाडी घूम रही है और तीन दीवारों और कमरे की छत पर पड़ती गाड़ी की छाया के कारण हर पल बदलती तस्बीरें सृजित हो रही है। यह इस कमरे में आने वाले दर्शकों को गाड़ी में बैठकर यात्रा करने सरीखा अनुभव प्रदान कर रहा है। यह सब कुछ दर्शकों को रोमांचित कर रहा है।


ऐतिहासिक बंदरगाह शहर कोच्चि में चल रहे कोच्चि-मुजिरिस बिनाले में प्रदर्शित रियोटा कुवाकुबो की यह प्रस्तुति बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी का आकर्शण का केन्द्र बनी हुयी है। छह मिनट में एक चक्कर पूरा करने वाली इस गाड़ी से आभासी यात्रा कई दर्शकों को इतना भा रही है कि वे बार-बार इसका अनुभव लेने के लिये वापस आ रहे हैं।
कमरे के दो दरवाजों में से एक दरवाजे से बाहर निकल रहे आठवी कक्षा का छात्र आदित्य मेनन कहता है, ‘‘यह वाकई मजेदार है। मैंने बार-बार इसे देखा। मैंने तीन बार इसे देखा।’’ उसकी मां प्रिया श्यामकुमार कहती हैं, ‘‘मैंने अभी अभी इसे देखा है। कमरे में मुझे थोड़ा पसीना भी आया। यह सब कुछ के अपने अर्थ हैं।’’
जापानी कलाकार ने कोच्चि मुजिरिस बिनाले के मुख्य प्रदर्शनी स्थल ‘‘एस्पिनवाल हाउस’’ में जो कुछ बनाया है वह बहुत ही सरल है। टोक्यो में रहने वाले रियोटा की गतिशील प्रदर्शनी का शीर्षक  ‘‘लास्ट रु 12 है। उसने खिलौना गाड़ी की पटरियों के साथ-साथ कोच्चि के सेंट्रल मार्केट से खरीदी गयी रोजमर्रे की सामग्रियों को सुनियोजित तरीके से रखा है।
केएमबी के क्यूरेटर जितिश कलात ने कहा, ‘‘जब चलती ट्रेन के पास से प्रकाश डाला जाता है तो बढ़ती और घटती छाया से बनती आकृतियां दर्शकों को मंत्रमुग्ध करती हैं। ये आकृतियां दर्शकों के शरीर के साथ सम्मिश्रित होती हैं।’’
इस प्रकार, ऊँची इमारतों में दिखाई देने वाले छोटे टंबलर, कपड़े की पंक्तियों के साथ इस्तेमाल किये गये औंधे प्लास्टिक क्लिप उन्हें जोड़ने वाली तारों के साथ बिजली के खंभे की तरह दिखते हैं और स्थिर मानव की तरह माॅल्ड अपने डिब्बे को पकड़ने की जल्दी में प्लेटफार्म पर दौड़ते यात्रियों की छाप छोड़ते हैं।
इसके अलावा, सब्जी की एक छिद्रित टोकरी है जिसका गोल सतह नीचे रखा है और ट्रेन बहुत नजाकत से थोड़े से कटे प्रवेश द्वार से गुजरती है। ऑटोमोबाइल के पास एक एकल बिन्दु प्रकाश स्रोत रखने पर, प्लास्टिक की वस्तु का आकार बढ़ने लगता है। दूसरी तरफ स्केच किये हुए वेब की तरह की छाया है जो पहले दीवार में फैलती है और फिर विपरीत दिशा में दीवार पर धीरे - धीरे समाप्त होने से पहले छत पर इधर - उधर फैल जाती है।
पीछे की यात्रा असाधारण रूप से धीमी है। वहां एक धातु के पिंजरे की तरह की एक अन्य वस्तु है जिसके साथ क्योटा जादू को दोहराते हैं, लेकिन इससे अलग प्रकार का अनुभव होता है। उसके बाद, एक मिनट या उसके तुरत बाद, ट्रेन तेज गति से रिवर्स होती है। इससे पहले देखी गयी वस्तुएं अलग वेग में फिर से प्रकट होती हैं। इस प्रकार नीचे की ओर यात्रा संचयी प्रभाव छोड़ती है।
होंशु के जापानी द्वीप पर शुकुबा विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और मल्टीमीडिया कलाकार 43 वर्षीय क्योटा ने कहा, ‘‘दो संभावित दृष्टिकोण दर्शकों को अनुभव करने के लिए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वस्तुओं को इस प्रकार व्यवस्थित किया गया है ताकि जब उन पर छाया डाली जाए तो वे परिचित छवियों - शायद एक जंगल, या एक सुरंग या एक सिटीस्केप की याद दिलाए। प्रत्येक दर्शक अपने निजी अनुभवों के आधार पर अलग - अलग तरह से अनुभव कर सकता है।’’
रयोटा ने कहा, ‘‘इस प्रकार यह इंस्टालेशन दर्शकों के चेतन और अवचेतन के पुनःसंग्रह को इकट्टा करते हुए आत्म चिंतन के लिए जगह बनाता है। रयोटा का केएमबी कार्य उनकी 2010 की ‘द टेंथ सेंटिमेंट’ नामक इंस्टालेश के तर्ज पर माॅडल की गयी है जिसे टोक्यो में म्यूजियम आॅफ कंटेपररी आर्ट के द्वारा आयोजित साइबर आर्ट्स जापान एक्जिबिशन में प्रदर्शित की गयी थी।
गिफु प्रान्त में ओगाकी में इंटरनेशनल अकेडमी आॅफ मीडिया आर्ट्स एंड साइंसेज में भी अध्ययन करने वाले कयोटा का मानना है कि उनका केएमबी इंस्टालेशन दो कदाचित विपरीत दृश्य अनुभव -एक डिजिटल दायरे में और दूसरा शुद्ध एनालॉग से संबद्ध कर सकता है।
केएमबी’14 में कई लोगों के द्वारा, रयोटा के काम में चुप्पी का अनुभव एक बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। 29 मार्च तक चलने वाली 108 दिन की इस प्रदर्शनी में 30 देशों के 94 कलाकारों की 100 मुख्य कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।

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